सूखे से विदर्भ-मराठवाड़ा में घटा मछली उत्पादन, मांग की अपेक्षा उत्पादन कम 

सूखे से विदर्भ-मराठवाड़ा में घटा मछली उत्पादन, मांग की अपेक्षा उत्पादन कम 

Tejinder Singh
Update: 2018-11-14 16:03 GMT
सूखे से विदर्भ-मराठवाड़ा में घटा मछली उत्पादन, मांग की अपेक्षा उत्पादन कम 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठवाड़ा और विदर्भ अंचल में सूखे के कारण पानी की कमी का असर मीठे पानी के मछलियों के उत्पादन पर पड़ा है। साल 2017-18 में मीठे पानी वाली मछली का उत्पादन 1.31 लाख मीट्रिक टन हुआ है। जबकि साल 2016-17 में मीठे पानी वाली मछली का उत्पादन 2 लाख मीट्रिक टन था। वहीं समुद्री मछली के उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही मछली के निर्यात में भी इजाफा हो रही है। राज्य भर में हर साल लगभग 10 लाख मीट्रिक टन मछली की खपत होती है, लेकिन मांग की तुलना में मछली का उत्पादन कम है। फिलहाल राज्य में मछली का उत्पादन 6.6 लाख मीट्रिक टन होता है। खपत के मुकाबले उत्पादन कम होने से पड़ोसी राज्यों से मछली मंगानी पड़ती है। बुधवार को प्रदेश के पशुसंवर्धन, दुग्धविकास व मत्स्यविकास मंत्री महादेव जानकर ने कहा कि देश भर में मछली उत्पादन के मामले में बीते चार सालों में महाराष्ट्र सातवें स्थान से पांचवें क्रमांक पर पहुंचा है। अगले साल मछली के उत्पादन में तीसरें स्थान पर पहुंचने का लक्ष्य है। जानकर ने कहा कि मछली उत्पादन व्यवसाय से उद्यमिता बढ़ी है। छोटे तालाबों और खेतों के तालाबों में मछली के उत्पादन के कारण लोगों को करोड़ों रुपए का मुनाफा हो रहा है। 

यह रहे आंकड़े

सरकार के मत्स्यविकास विभाग के अनुसार साल 2014-15 में समुद्र में 4.64 लाख मीट्रिक टन और मीठे पानी में 1.44 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ। जिसकी कुल कीमत 5,900 करोड़ रुपए है। साल 2015-16 में समुद्र में 4.34 लाख मीट्रिक टन और मीठे पानी में 1.46 लाख मीट्रिक टन मछली की पैदावार हुई। इसकी कुल कीमत 5,925 करोड़ रुपए है। साल 2016-17 में समुद्र में 4.63 लाख मीट्रिक टन और मीठे पानी में 2 लाख मीट्रिक टन उत्पादन रहा। इसकी राशि 6,761 करोड़ रुपए है। साल 2017-18 में समुद्र में 4.75 लाख मीट्रिक टन और मीठे पानी में 1.31 लाख मीट्रिक टन मछली पैदा हुई। इसकी कुल कीमत 4,880 करोड़ रुपए है।  

चार सालों में मछली के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी 

साल 2014-15 में 1.52 लाख मीट्रिक टन मछली का निर्यात हुआ। इसकी कीमत 4,273 करोड़ थी। साल 2015-16 में 3,673 करोड़ कीमत की 1.28 लाख मीट्रिक टन मछली निर्यात की गई। साल 2016-17 में 1.52 लाख मीट्रिक टन मछली ( 4,311 करोड़ रुपए) निर्यात की गई। वहीं साल 2017-18 में मछली का निर्यात 1.80 लाख मीट्रिक टन रहा। जिसकी कीमत 4 हजार 907 करोड़ रुपए है। 

जानकर ने दी मछली खाने की सलाह 

पत्रकारों के साथ समुद्र की सैर के दौरान मंत्री जानकार ने कहा कि मछली खाने से कई बीमारियां दूर होती हैं। मछली खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। कैंसर की बीमारी भी ठीक होती है। आदिवासी इलाकों में कुपोषण की समस्या है। कुपोषण ग्रस्त इलाकों के बच्चों को मछली का पावडर दिया गया तो यह बीमारी भी ठीक हो सकती है। 

विदर्भ और मराठवाड़ा में मछली उत्पादन पर जोर

राज्य के मत्स्यविकास विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि विदर्भ और मराठवाड़ा में छोटे तालाबों और जलाशयों में मछली उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। किसानों को तालाबों और जलाशयों में मछली पालन के लिए मुफ्त में मत्स्यबीज और भोजन (फीड) उपलब्ध कराया जाता है। यह योजना अमरावती, वर्धा, औरंगाबाद, भंडारा और गडचिरोली समेत अन्य जिलों में चलाई जा रही है। 
 

Similar News