पारिवारिक मित्र है शिवसेना नेता संजय राऊत पर आरोप लगाने वाली महिला, वकील का दावा 

पारिवारिक मित्र है शिवसेना नेता संजय राऊत पर आरोप लगाने वाली महिला, वकील का दावा 

Tejinder Singh
Update: 2021-03-05 14:53 GMT
पारिवारिक मित्र है शिवसेना नेता संजय राऊत पर आरोप लगाने वाली महिला, वकील का दावा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने बांबे हाईकोर्ट में अपने वकील के माध्यम से एक महिला द्वारा प्रताड़ित व पीछा करने के आरोपों का खंडन किया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने मामले से जुड़े आरोपपत्र की प्रति याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया। इस पहले राऊत की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रसाद ढाकेफालकर ने खंडपीठ के सामने याचिका का विरोध किया और याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता मेरे मुवक्किल (राऊत) की पारिवारिक मित्र व बेटी की तरह है। मेरे मुवक्किल याचिकाकर्ता के परिवारवालों को अच्छी तरह से जानते हैं। याचिकाकर्ता का अपने पति के साथ कुछ वैवाहिक विवाद चल रहा है। इस विवाद में मेरे मुवक्किल ने याचिकाकर्ता के पति का समर्थन किया है। इसलिए इस तरह के निराधार आरोप मेरे मुवक्किल पर लगाए गए हैं।

पिछले दिनों महानगर के सांताक्रुज इलाके में रहनेवाले मनोवैज्ञानिक व लेखिका डॉक्टर स्वपना पाटकर ने अधिवक्ता आभा सिंह के मार्फत राऊत के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में राऊत को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिका में पाटकर ने कहा है कि वे लगातार राऊत के हाथो मानिसिक यातना, प्रताड़ना, गाली गलौच, मारपीट व हमले का सामना कर रही हैं। 

खंडपीठ के सामने सुनवाई के दौरान सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने कहा प्रकरण को लेकर साल 2019 में दर्ज की गई एक एफआईआर को लेकर आरोपपत्र दायर कर दिया गया है। इसके बाद खंडपीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि आरोपपत्र की प्रति याचिकाकर्ता को प्रदान की जाए और मामले की सुनवाई 19 मार्च 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि चूकि इस मामले की सुनवाई हमारे सामने चल रही है। इसलिए मामले से जुड़े सभी पक्षकार अदालत के बाहर बयानबाजी करने से बचे। 

याचिका में पाटकर ने कहा है कि उन्होंने माहिम पुलिस स्टेशन में साल 2013 व 2 अक्टूबर 2018 में इस संदर्भ में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने प्रकरण को लेकर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला तो दर्ज कर लिया है लेकिन मामले की जांच को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखा रही है। याचिका में पाटकर ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग में भी अपनी शिकायत की है। फिर भी मामले में कुछ नहीं हो रहा है। इसलिए वाकोला पुलिस को दो अक्टूबर 2018 को दर्ज की गई एफआईआर संख्या 377-2018 की जांच करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में पाटकर ने दावा किया है कि इस मामले में उसे संविधान के अनुच्छेद 19 व 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। 

 

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