जिला चिकित्सालय में मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा, घबराए डॉक्टर सुरक्षा बढ़ाने एसपी के पास पहुंचे

जिला चिकित्सालय में मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा, घबराए डॉक्टर सुरक्षा बढ़ाने एसपी के पास पहुंचे

Bhaskar Hindi
Update: 2020-06-19 13:22 GMT
जिला चिकित्सालय में मरीज की मौत के बाद परिजनों का हंगामा, घबराए डॉक्टर सुरक्षा बढ़ाने एसपी के पास पहुंचे

डिजिटल डेस्क शहडोल । जिला चिकित्सालय में बुधवार रात मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। हॉस्पिटल में तोडफ़ोड़ की और डॉक्टर के साथ हाथपाई की कोशिश भी की गई। उनका आरोप था कि इलाज में देरी की वजह से मरीज की मौत हुई है। दूसरी ओर, घटना के बाद डॉक्टर भी काफी आक्रोशित हैं। पहले तो हड़ताल का फैसला कर लिया था। बाद में समझाइश के बाद उन्होंने एसपी को ज्ञापन सौंपकर हंगामा करने वालों पर एफआईआर करने व अस्पताल में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
यह है पूरा मामला  
जानकारी के अनुसार बुधवार शाम को करीब साढ़े 6 बजे धनपुरी निवासी नसरुद्दीन को जिला चिकित्सालय लाया गया था। उनको अटैक आया था। उस समय ड्यूटी पर मेडिकल कॉलेज के सीएमओ डॉ. सौरभ सिंह परिहार ड्यूटी पर थे। उन्होंने उसका इलाज किया। इस बीच ऑन कॉल मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. वशीम को बुलाकर भी दिखाया गया। मरीज की हालत गंभीर थी। करीब साढ़े सात बजे उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि मरीज को न तो आईसीयू में भर्ती किया गया और न ही ऑक्सीजन लगाया गया। इसके चलते मरीज की मौत हो गई। इस बीच उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस और एसडीएम व तहसीलदार ने लोगों को शांत कराया।
डॉक्टरों के खिलाफ दिया शिकायत पत्र
मरीज की मौत के बाद हॉस्पिटल में काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे। सभी डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को सूचित किया। इसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल यहां पहुंचा। सोहागपुर एसडीएम धर्मेंद्र मिश्रा और तहसीलदार बीके मिश्रा भी पहुंच गए। इस दौरान परिजनों ने दोनों चिकित्सकों के ऊपर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाते हुए एसडीएम को शिकायत पत्र दिया है। बाद में अधिकारियों की समझाइश के बाद मामला शांत हो सका। इस संबंध में सोहागपुर एसडीएम धर्मेन्द्र मिश्रा का कहना है कि उन्होंने मामले की जांच के लिए तहसीलदार सोहागपुर को निर्देश जारी कर दिए हैं।
डॉक्टर बोले परिजनों ने की अस्पताल में तोडफ़ोड़
ड्यूटी पर मौजूद रहे डॉ. सौरभ सिंह परिहार ने बताया कि पेशेंट को हॉर्ट की दिक्कत थी। मस्तिष्क पर ब्लड कॉटिंग भी थी। धनपुरी से उनको कार्डियो और न्यूरोलॉजी के हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया था। परिजन उन्हें जिला चिकित्सालय ले आए। साढ़े 6 पहुंचे और एंबुलेंस में ही इलाज का दबाव बना रहे थे। जो संभव नहीं था। बिना पर्ची के ही उनको इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करते हुए इलाज शुरू किया गया।  मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. अब्दुल वसीम को भी दिखाया गया। मरीज को हाई ब्लड शुगर था। दिक्कत बढऩे पर ऑक्सीजन लगाया गया और करीब 15 मिनट तक सीपीआर दिया गया। पूरी कोशिश के बाद भी उनको नहीं बचाया जा सका।
अस्पताल अधीक्षक को हटाने भी खोला मोर्चा
डॉ. सौरभ सिंह का कहना है कि मरीज की मौत के बाद ही परिजनों ने हंगामा कर दिया। गाली-गलौज और हाथापाई की गई। इस बीच हॉस्पिटल की ईसीजी मशीन भी उन्होंने तोड़ दी और उन्हें 10-12 लोगों ने मारने के लिए दौड़ाया। वह किसी तरह जान बचाकर वहां से भागे। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि वे गाड़ी बनवा रहे हैं। फिर उनका फोन नहीं आया। इसको लेकर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों में काफी आक्रोश है। उन्होंने गुरुवार को डीन से मिलकर शिकायत की और हड़ताल पर जाने की बात कही। डीन के समझाने के बाद हड़ताल तो स्थगित कर दी है, लेकिन सुरक्षा बढ़ाने और अस्पताल अधीक्षक को तत्काल हटाने के लिए कहा है।
दो दिन में सुरक्षा बढ़ाने की मांग
जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने गुरुवार को एसपी कार्यालय पहुंचकर एडिशनल एसपी को ज्ञापन सौंपा है। इसमें डॉक्टर पर हमला करने वालों पर मामला दर्ज करने की मांग की गई है। साथ ही कहा है कि हॉस्पिटल में सुरक्षा बढ़ाई जाए। जिला अस्पताल पुलिस चौकी में सब इस्पेक्टर सहित 4-5 सिपाहियों की पदस्थापना की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न हो। दो दिन में हॉस्पिटल में सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए तो वे ड्यूटी करने में असमर्थ रहेंगे।  
इनका कहना है
घटना के बाद डॉक्टरों ने काम बंद करने की बात कही थी। समझाइश के बाद वे ड्यूटी पर चले गए हैं। डॉक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शुक्रवार को एसपी से मिलने का वक्त लिया है।
डॉ. मिलिंद शिरालकर, डीन
धनपुरी से ही गंभीर हालत में ही मरीज को चिकित्सालय लाया गया था। इससे पहले शहर के दो अन्य अस्पताल भी लेकर परिजन गए थे। इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है।
डॉ. वीएस बारिया, सिविल सर्जन

 

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