31 जनवरी तक कृषि मंडियों में प्याज बेच चुके किसानों को मिलेगा अनुदान, यवतमाल के जंगल में सिमेंट कारखाना खोलेगी रिलायंस

31 जनवरी तक कृषि मंडियों में प्याज बेच चुके किसानों को मिलेगा अनुदान, यवतमाल के जंगल में सिमेंट कारखाना खोलेगी रिलायंस

Tejinder Singh
Update: 2019-02-04 16:51 GMT
31 जनवरी तक कृषि मंडियों में प्याज बेच चुके किसानों को मिलेगा अनुदान, यवतमाल के जंगल में सिमेंट कारखाना खोलेगी रिलायंस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सूखे की स्थिति और प्याज की दरों में लगातार गिरावट के बीच राज्य सरकार ने प्याज उत्पादक किसानों को राहत देने का फैसला किया है। राज्य की कृषि उपज बाजार समितियों में अब 31 जनवरी तक प्याज बेच चुके किसानों को प्रति क्विंटल 200 रुपए के हिसाब के अनुसार अनुदान योजना का लाभ मिलेगा। प्याज उत्पादक किसान अधिकतम 200 क्विंटल प्याज बेचने के ऐवज में अनुदान योजना का लाभ ले सकेंगे। सोमवार को प्रदेश के सहकारिता व विपणन मंत्री सुभाष देशमुख ने यह जानकारी दी। देशमुख ने कहा कि प्याज उत्पादक किसानों को अनुदान का लाभ देने की अवधि बढ़ाने के संबंध में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा हुई। इसके अनुसार अब 1 नवंबर 2018 से 31 जनवरी 2019 के बीच कृषि मंडियों में प्याज बेचने वाले किसानों को अनुदान योजना का लाभ मिल सकेगा। इससे पहले सरकार ने 1 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच कृषि मंडी में प्याज बेचने वाले किसानों के लिए अनुदान योजना लागू की थी। इसके बाद 31 जनवरी को शासनादेश जारी करके अनुदान योजना की अवधि 31 दिसंबर तक किया गया था। लेकिन जनवरी महीने में प्याज की दरों में गिरावट के बाद अब अनुदान का लाभ देने की अवधि एक महीने के लिए और 31 जनवरी तक कर दी गई है। 

यवतमाल के जंगल में रिलायंस कंपनी खोलेगी सिमेंट कारखाना

उधर यवतमाल के जंगल में जहां अवनी बाघिन को मार गिराया उस जंगल में मैसर्स रिलायंस सीमेंटेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपना एक सिमेंट कारखाना स्थापित कर रही है। इसके लिए क्षेत्र की 467.64 हेक्टेयर जमीन का अंतरण करने को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। सोमवार को दिल्ली स्थित राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री डॉ महेश शर्मा ने बताया कि कंपनी द्वारा वन भूमि का अधिग्रहन नहीं किया है, लेकिन वनेत्तर प्रयोजन और प्रतिपूरक वनीकरण लागत जैसी उगाही के लिए राज्य सरकार द्वारा वन भूमि संबंधित कंपनी को दी गई है। यह भूमि जो बाघों का प्राकृतिक आवास है और जहां दो शावकों की मां बाघिन अवनी को मारा गया था। इसकी जानकारी होने के बावजूद राज्य सरकार ने यहां सिमेंट कारखाना स्थापित करने की अनुमति कैसे दी? इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने केन्द्र को सूचित किया था कि प्रस्तावित क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य, बाघ रिजर्व आदि के अंतर्गत नही पड़ता है। यवतमाल जिले के पांढरकवडा, पिमारावाडी, होरापुर और गोविंदपुर गांवों में रिलाइंस कंपनी के पक्ष में अंतरण के लिए प्रस्तावित वन भूमि से 10 किलोमीटर की दूरी के अंदर कोई संरक्षित क्षेत्र अवस्थित नही है। वन भूमि अधिग्रहण के लिए रिलाइंस द्वारा दिए गए मुआवजे के बारे में राज्यमंत्री श र्मा ने कहा कि कंपनी की ओर से राज्य सरकार की प्रतिपूरक वनीकरण निधि में प्रतिपूरक उगाही के तौर पर 52,06,22,016.63 करोड़ रुपये जमा किए गए है।

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