बॉम्बे हाईकोर्ट के सीनियर जज पर पक्षपात का आरोप

बॉम्बे हाईकोर्ट के सीनियर जज पर पक्षपात का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-25 15:34 GMT
बॉम्बे हाईकोर्ट के सीनियर जज पर पक्षपात का आरोप

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने ध्वनि प्रदूषण और साइलेंस जोन (शांत क्षेत्र) के मुद्दे पर सुनवाई कर रहे बॉम्बे हाईकोर्ट के सीनियर जज पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने सरकार की ओर से इस संबंध में दायर आवेदन को मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अभय ओक और रियाज छागला की बेंच के समक्ष गुरुवार को रखा। इसमें जस्टिस ओक पर पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है। चीफ जस्टिस मंजुला चिल्लूर ने सरकार के आवेदन पर अब इस मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस अनूप मोहता की अगुवाई में बेंच का गठन किया है।  सरकार के इस आवेदन पर बेंच ने हैरानी जताई है।

कहा कि सरकार एक आम याचिकाकर्ता की तरह जज पर आरोप लगा रही है, जिसका कोर्ट की गरिमा पर व्यापक असर पड़ेगा। जस्टिस ओक ने कहा कि हमने मामले को लेकर प्रथम दृष्टया अपना मत व्यक्त किया था, ताकि हम विषय को लेकर अच्छी से अच्छी जानकारी व सच को सामने ला सकें। न्यायपालिका में वर्षों से यह प्रथा चली आ रही है कि जज किसी भी मुद्दे पर अपनी प्रथम दृष्टया राय व्यक्त करते हैं।

बेंच के सामने सामाजिक कार्यकर्ता महेश बेडेकर व आवाज फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। जस्टिस ओक ने बुधवार को मौखिक रूप से कहा था कि प्रथम दृष्टया हम सरकार की उस दलील से सहमत नहीं है, जिसमें कहा गया था कि फिलहाल महाराष्ट्र में कोई शांत क्षेत्र नहीं है। हमने बुधवार को महाधिवक्ता की परेशानी को देखते हुए मामले की सुनवाई गुरुवार के लिए टाली थी, ताकि वे अपना पक्ष रख सकें। यदि वे बुधवार को ही अपनी दलीलें पूरी कर लेते तो हम उसी दिन फैसला दे देते। लेकिन सरकार ने इस तरह का आवेदन करके महाधिवक्ता की स्थिति को असहज बना दिया है। महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद है।

जस्टिस ओक बोले- पहली बार लगा है ऐसा आरोप

जस्टिस ओक ने कहा कि 14 वर्षों की मेरी न्यायिक सेवा के दौरान यह पहला मौका है जब मुझ पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया गया, लेकिन मैं खुश हूं कि कम से कम सरकार ने मेरे साथ काम कर रहे जस्टिस रियाज छागला पर कोई आरोप नहीं लगाया है।

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