कोरोना उपचार केंद्रों का कचरा डिस्पोज करने में सख्ती से हो नियमों का पालन

कोरोना उपचार केंद्रों का कचरा डिस्पोज करने में सख्ती से हो नियमों का पालन

Tejinder Singh
Update: 2020-07-24 14:56 GMT
कोरोना उपचार केंद्रों का कचरा डिस्पोज करने में सख्ती से हो नियमों का पालन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य की सभी महानगपालिकाओं और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे कोरोना उपचार केंद्रों से निकलनेवाले जैविक कचरे के निस्तारण में नियमों का पालन कड़ाई से करें। जबकि महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) इसकी निगरानी करें कि नियमों का पालन हो रहा है कि नहीं। यदि जैविक कचरे के निस्तारण में उसे नियमों का उल्लघंन नजर आता है, तो वह संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह निर्देश सामाजिक कार्यकर्ता किशोर सोहनी की ओर से दायर जनहित याचिका को समाप्त करने के बाद दिया। याचिका में दावा किया गया था कि कल्याण इलाके में कोरोना का उपचार करनेवाले अस्पताल, व लैब से निकलनेवाले जैविक कचरे के निस्तारण में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जा रही है। खुले में पीपीई किट तक फेंके जा रहे हैं। कोरोना कचरे को नष्ट करने के लिए जैविक कचरा निस्तारण नियमावली व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। 

सुनवाई के दौरान एमपीसीबी की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता शर्मिला देशमुख ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह याचिका नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर की जानी चाहिए थी। इस पर याचिकाकर्ता की वकील साधना कुमार ने कहा कि वर्तमान में कोरोना का संक्रमण बड़ी चुनौती है। हमें इसे रोकने की दिशा में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए न कि याचिका की सुनवाई क्षेत्राधिकार के विषय में बहस करनी चाहिए। क्योंकि कोरोना संक्रमण से बड़े संख्या में लोगों की मौत हो रही हैं। कल्याण-डोम्बिवली महानगपालिका ने कचरा निस्तारण में नियमों का दावा होने का दावा किया। इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एमपीसीबी आश्वस्त करे कि कोरोना के कचरे को नष्ट करने में नियमों का पालन हो और नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें। इस तरह से खंडपीठ ने याचिका को समाप्त कर दिया। 

 

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