गणेश भक्तों को लुभा रही औरंगाबाद की बेटियों की गणेश मूर्तियां

मुंबई-पुणे- साउथ इंडियन टच गणेश भक्तों को लुभा रही औरंगाबाद की बेटियों की गणेश मूर्तियां

Tejinder Singh
Update: 2022-09-07 16:50 GMT
गणेश भक्तों को लुभा रही औरंगाबाद की बेटियों की गणेश मूर्तियां

डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद। शहर की दो बेटियों ने बप्पा को गणेशभक्तों के मनमुताबिक नया आकार, नया रूप देने और अधिक सुन्दर बनाने का बीड़ा उठा लिया। प्रियंका आठवले और मानसी वर्मा इन दो सहेलियों ने पहली बार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए उल्का नगरी परिक्षेत्र में एक ऐसे ही विघ्नहर्ता गणेश की इको फ्रेंडली (मिट्टी से बनी मूर्तियां) व पीओपी (प्लास्टर ऑफ पैरिस) से बनाई गई आकर्षक व सुंदर मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई है। जहां रखी इन मूर्तियों की विशेषता इसके आकर्षक व कलात्मक रंगों में देखने को मिल रही है। गणेशोत्सव के दौरान मूर्तिकारों में श्रीगणेश की आकर्षक मूर्तियां बनाने की होड़ रहती है। प्रत्येक वर्ष कुछ नया करने का प्रयास मूर्तिकार करते हैं। पारंपरिक मूर्तियों के अलावा गणेश भक्तों की मांग पर विशेष हाव-भाव या वेशभूषावाली मूर्तियां भी इन मूर्तिकारों द्वारा बनाई जाती है और ये मूर्तियां गणेशोत्सव में आकर्षण का केन्द्र भी बनती हैं।

खेल-खेल में 

प्रियंका व मानसी बताती हैं कि, गणेशोत्सव का समय आने पर उनके पड़ोसी गणपति की मूर्तियां बनाने का आग्रह करते थे और खेल ही खेल में अच्छी खासी  सुंदर मूर्तियां बन जाती थी। लगातार प्रयास से दोनों की कला में निखार आता गया। मूर्तियों की आकर्षक बनावट और रंगों की सुन्दरता के कारण पड़ोसियों की डिमांड भी बढ़ने लगी। प्रियंका व मानसी अभी तक अपने परिचित पड़ोसियों को नि:शुल्क ही मूर्तियां बना कर देती थीं। बाद में  उन्हें लगा कि इस कला के माध्यम से क्यों ना अपनी इस प्रतिभा को रोजगार में बदला जाए। बस फिर क्या था, अपनी कला को और अधिक निखारने और उसे व्यावसाइक रूप देने के लिए दोनों मुंबई, पुणे, अहमदनगर व दक्षिण भारत की सैर पर निकल पड़ीं। 

पहले बनाईं 25 मूर्तियां

इस अभ्यास दौरे से वापस घर आकर प्रियंका व मानसी ने पहली बार 25 मूर्तियां तैयार कर बाजार में बिक्री हेतु रखी। दोनों की ये 25 मूर्तियां हाथोहाथ बिक गईं। इससे दोनों का उत्साह जागा और उन्होंने अपनी इस कला को और निखारा। 4 सालों बाद इस वर्ष गणेशोत्सव के अवसर पर उन्होंने ऐसी मूर्तियां तैयार की हैं, जो अब तक शहर में देखने को नहीं मिलती थी। मानसी ने बताया कि मिट्टी व पीओपी से बनी दोनो प्रकार की मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। श्वेत रंग में मुंबई का लालबाग का राजा, पुणे के दगड़ू सेठ हलवाई गणेश की फाइबर कलर, दक्षिण भारत के विघ्नहर्ता के माथे पर विशेष प्रकार नामा टीका व आंखों के आकार का टच दिया जा रहा है। मूर्तियों को सांचे में ढालने के लिए कारीगर की भी मदद ली जा रही है। ढांचा तैयार होने के बाद इसे डिमांड अनुसार लुक दिया जाता है।

आकार अलग - अलग

मानसी व प्रियंका ने बताया कि फिलहाल वह 6 इंच से लेकर पांच फीट- पांच इंच की मूर्तियां तैयार कर रही हैं, जिन्हें लोगों की डिमांड के अनुसार लुक दिया जा रहा है। इन मूर्तियों के ढांचे पर अमेरिकन डायमंड, मोती, स्टोन, कुंदर जड़कर मनचाहा आकार व कलर दिया जाता है। इस कलाकारी में न्यूनतम छह घंटे से अधिक का समय लगता है। मूर्तियों के निर्माण पर 250 से 2100 रुपए तक का खर्च आता है। मनचाहे कलर व आकार की मूर्ति तैयार करने के लिए कई लोग दो माह पहले ही ऑर्डर दे चुके हैं। "विघ्न गणेश" नामक प्रदर्शनी उल्का नगरी अगस्ट होम के पास लगाई गई है, जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं।

 

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