आईडी देकर खिला रहे थे आईपीएल का सट्टा - पकड़े गए सटोरियों की लिंक तलाश रही गोरखपुर पुलिस

आईडी देकर खिला रहे थे आईपीएल का सट्टा - पकड़े गए सटोरियों की लिंक तलाश रही गोरखपुर पुलिस

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-27 10:06 GMT
आईडी देकर खिला रहे थे आईपीएल का सट्टा - पकड़े गए सटोरियों की लिंक तलाश रही गोरखपुर पुलिस

डिजिटल डेस्क जबलपुर । आईपीएल टी-20 क्रिकेट मैच में रविवार को खेले गये दो मैचों में लाखों का दाँव लगाया गया था। मैच के दौरान तीन थाना क्षेत्रों में क्रिकेट का लाखों का सट्टा पकड़ा गया था। देर रात गोरखपुर में पकड़े सटोरियों से पूछताछ में पता चला कि उनके द्वारा आईडी देकर मोबाइल पर सट्टे की खाईबाजी की जा रही थी। पुलिस ने कार सवार दो सटोरियों से 4 मोबाइल व 51 सौ रुपये नकदी जब्त किया था। पकड़े गए सटोरियों से पूछताछ कर पुलिस उनकी लिंक जोड़कर बड़े बुकी का पता लगाने में जुटी है। पुलिस के अनुसार रविवार की रात हैदराबाद व दिल्ली के बीच खेले जा रहे मुकाबले में  हवाबाग कॉलेज के पास कार सवारोंं द्वारा क्रिकेट का सट्टा खिलाए जाने की सूचना पर छापामारी की गई और कार सवार हरीश उर्फ विक्की मनानी निवासी गुडविल अपार्टमेंट व उसके साथी रोमी चेलानी निवासी कुबेर रेसीडेंसी को पकड़ा जो कि मोबाइल से सट्टे की खाईबाजी कर रहे थे। उनके द्वारा ग्राहकों को आईडी देकर मैसेज के जरिए सट्टा खिलाया जा रहा था। पुलिस ने उनके कब्जे से 4 मोबाइल, नकदी रकम व कार जब्त की थी। पुलिस के अनुसार सटोरियों के पास मिले मोबाइल फोन की जाँच कर यह पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने किससे लाइन ली थी और शहर में कितने ग्राहक बनाए थे। इसी तरह बेलबाग व लार्डगंज पुलिस भी पकड़े गए सटोरियों से पूछताछ कर बड़े बुकियों की तलाश में है। 
युवा बन रहे  शिकार
आईपीएल क्रिकेट के सट्टे में सबसे ज्यादा प्रभावित युवा पीढ़ी हो रही है। उधार में आईडी देकर सट्टा खिलाने वाले युवाओं को इस खेल के प्रति आकर्षित कराते हैं, जिससे युवा धीरे-धीरे इस बुरी लत का शिकार हो जाते हैं। इसके दुष्परिणाम लंबे समय तक नजर आते हैं। सट्टे में हार की उधारी चुकाने युवा अपराधों में लिप्त हो जाते हैं और गंभीर वारदातों को अंजाम देते हैं। 
बड़े बुकियों का अब तक पता नहीं 
आईपीएल क्रिकेट शुरू होते ही बड़े बुकी शहर से बाहर भाग गये और पुलिस के हाथ छोटे-मोटे सटोरिए आ रहे हैं। बड़े बुकी मोबाइल पर आईडी बाँटकर शहर से बाहर चले गये हैं और वहाँ से मोबाइल एप के जरिए इस कारोबार को संचालित कर रहे हैं जिसके चलते वे पुलिस की पकड़ से दूर हैं। पुलिस के पास अब एक ही रास्ता है कि जो सटोरिये पकड़े जा रहे हैं, उनके पास मिले मोबाइल व लिंक के आधार पर यह पता लगाया ज सकता है कि उनके द्वारा किस बड़े बुकी से लिंक ली गई थी। 
 

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