झुकी सरकार, आगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने के फैसले पर रोक
झुकी सरकार, आगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने के फैसले पर रोक
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सत्ताधारी शिवसेना और विपक्षी दलों कांग्रेस-राकांपा की मांग के आगे झुकते हुए राज्य सरकार ने हड़ताल के दौरान आंगनवाडी सेविकाओं के खिलाफ महाराष्ट्र आवश्यक सेवा सुरक्षा कानून (मेस्मा) लगाने के प्रस्ताव को फिलहाल स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में यह जानकारी देते हुए कहा कि सभागृह के सदस्यों की भावना को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। विपक्ष और शिवसेना ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही इसका श्रेय लेने के लिए शिवसेना और विपक्षी दलों के बीच होड़ भी शुरु हो गई है।
कांग्रेस, राकांपा के अलावा सत्ता में भागीदार शिवसेना का भी विरोध
राज्य सरकार ने जब से आंगनवाडी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने का फैसला किया था। विपक्षी कांग्रेस, राकांपा के अलावा सत्ता में भागीदार शिवसेना भी इस पर दोनों सदनों में हंगामा कर रही थी। बुधवार को इसके चलते विधानसभा की कार्यवाही आठ बार स्थगित होने के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। इसी मसले को लेकर विधान परिषद की कार्यवाही भी नहीं चल सकी थी। शिवसेना ने ऐलान किया था कि वह सदन का कामकाज तब तक नहीं होने देगी जब तक सरकार फैसला वापस नहीं लेती।
कुपोषित बच्चों की मौत रोकने के लिए यह कानून जरूरी
जबकि राज्य कि महिला एवं बाल विकास मंत्री ने दावा किया था कि कुपोषित बच्चों की मौत रोकने के लिए यह कानून जरूरी है। इस लिए सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी, यही नहीं उन्होंने फैसले का विरोध करने वालों को कुपोषित बच्चों की मौत की जिम्मेदारी लेने को कहा था। लेकिन गुरूवार को सरकार के सुर बदल गए और मुख्यमंत्री ने खुद फैसला स्थगित करने का ऐलान किया। राज्य की आंगनवाडी सेविकाओं ने पिछले साल 26 दिन की हड़ताल की थी जिसके बाद उनका मानधन 1500 रुपए से बढ़ाकर साढ़े छह हजार कर दिया गया था। मुख्यमंत्री ने बताया कि आगामी एक अप्रैल से मानधन में पांच फीसदी और बढ़ोत्तरी का फैसला किया है। हालांकि सरकार ने अभी इससे जुड़ा आदेश नहीं जारी किया है।
आंगनवाडी सेविकाएं और कर्मचारी कार्यरत
राज्य में फिलहाल 97 हजार आंगनवाड़ियां हैं, जिनमें दो लाख आंगनवाडी सेविकाएं और कर्मचारी कार्यरत हैं। इनके जरिए राज्य के 73 लाख बच्चों को पोषक आहार दिया जाता है। दरअसल राज्य सरकार ने 15 मार्च 2018 को अधिसूचना जारी कर मानधन पर काम करने वाली आंगनवाडी सेविकाओं और कर्मचारियों को कर्मचारी संबोधित करने से जुड़ी अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद आंगनवाडी सेविकाओं पर भी हड़ताल के दौरान मेस्मा लगाने का रास्ता साफ हो गया था। शिवसेना और विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए मांग की थी कि अगर सरकार आंगनवाडी सेविकाओं पर मेस्मा लगाना चाहती है तो उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित कर सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन दे।
मतदान से डरी सरकार-विखेपाटील
आंगनवाडी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने के मुद्दे पर सरकार द्वारा कदम पीछे खींचने के बाद विपक्ष ने इसे अपनी जीत बताया। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने कहा कि हम इस मुद्दे पर मतदान की मांग करने वाले थे इसीलिए सरकार ने फैसला स्थगित किया। उन्होंने सवाल किया कि शिवसेना सदस्य हर मामले में मातोश्री से आदेश आने तक सोते रहते हैं। राकांपा के जयंत पाटील ने कहा कि सरकार को देर से सदबुद्धि आई है।