जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश करने की बढ़ेगी अवधि, सरकार ले सकती है निर्णय

जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश करने की बढ़ेगी अवधि, सरकार ले सकती है निर्णय

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-27 05:26 GMT
जाति वैधता प्रमाणपत्र पेश करने की बढ़ेगी अवधि, सरकार ले सकती है निर्णय

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जाति वैधता प्रमाणपत्र न पेश करने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता रद्द करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य में स्थानीय निकायों के करीब 9 हजार सदस्यों पर खतरे की तलवार लटक रही है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत यदि इतनी बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों को अपने पद गंवाने पड़े तो राज्य में उपचुनाव की नौबत आ जाएगी। इसलिए आरक्षित सीटों से चुनकर आए जनप्रतिनिधियों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश करने की समय सीमा बढ़ाएगी।

सूत्रों के अनुसार इसको लेकर जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया जाएगा। चुनाव जीत कर आने के 6 माह के भीतर जाति वैधता प्रमाण पत्र न पेश करने वाले कोल्हापुर महानगरपालिका के 19 नगरसेवकों की सदस्यता रद्द करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से राज्य की अन्य महानगरपालिका, नगरपालिका, नगर परिषद, जिला परिषद व पंचायत समितियों में आरक्षित सीटों से चुन कर आए जनप्रतिनिधियों पर भी खतरे की तलवार लटकने लगी है। यदि इन जगहों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल किया गया तो बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों की सदस्यता खत्म हो जाएगी और राज्य में फिर से चुनाव कराने होंगे। 

ये हैं नियम
नियमों के अनुसार आरक्षित सीटों पर चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों को चुनाव के 6 माह के भीतर जाति वैधता प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य है, लेकिन राज्य में स्थानीय निकायों के करीब 9 हजार जनप्रतिनिधियों ने 6 माह की अवधि बीत जाने के बाद भी जाति वैधता प्रमाण पत्र पेश नहीं किया है। 

गठित समिति में रिक्त हैं पद
राज्य के सभी जिलों में जाति प्रमाण पत्र पड़ताल समिति गठित की गई है। पर अनेक जगहों पर समिति के पद रिक्त हैं। जहां पद रिक्त हैं उनका कार्यभार किसी अन्य समिति को सौंपा गया है। इस वजह से समिति का कामकाज बेहद धीमी गति से चल रहा है। इन समितियों के अध्यक्ष, सह सचिव व सचिव अतिरिक्ति जिलाधिकारी स्तर का होना अनिवार्य है। 

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