मेडिकल यूनिवर्सिटी के बजट कम करने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें सरकार -दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश

मेडिकल यूनिवर्सिटी के बजट कम करने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें सरकार -दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश

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Update: 2019-09-11 08:10 GMT
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डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विशाल धगट की युगल पीठ ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के बजट कम करने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। युगल पीठ ने पुनर्विचार करने के बाद दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को निर्धारित की गई है। 
कछपुरा गढ़ा निवासी समाजसेवी आलोक मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में रिसर्च और बेहतर शिक्षा के लिए वर्ष 2011 में जबलपुर में मेडिकल यूनिवर्सिटी का गठन किया था। स्थापना के समय मंत्रिमंडल ने यूनिवर्सिटी के लिए 240 पद और लगभग 400 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था। याचिका में कहा गया कि 18 मई 2018 को चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस आरएस जुलानिया की मौजूदगी में यूनिवर्सिटी की एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक आयोजित की गई। याचिका में कहा गया कि एसीएस आरएस जुलानिया के दबाव में मेडिकल यूनिवर्सिटी के पद 240 से घटाकर 65 करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के बजट से 40-40 करोड़ रुपए प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेज को देने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय का एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य डॉ. चंद्रेश शुक्ला ने विरोध किया था, लेकिन उनके विरोध को दरकिनार कर दिया गया। 
पद कम करने पर हाईकोर्ट ने लगाई है रोक 
हाईकोर्ट ने 26 सितंबर 2018 को मेडिकल यूनिवर्सिटी के पद कम पर रोक लगा दी थी। इस मामले में मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से प्रस्तुत जवाब में कहा गया कि इस संबंध में कुलाधिपति से मार्गदर्शन मांगा गया है। अधिवक्ता पराग चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि पद और बजट कम करने से यूनिवर्सिटी का संचालन मुश्किल हो जाएगा। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के बजट कम करने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर अधिवक्ता सतीश वर्मा और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता भूपेश तिवारी ने पक्ष रखा।
 

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