मीठे पानी की मछली का उत्पादन दोगुना करना चाहती है सरकार

मीठे पानी की मछली का उत्पादन दोगुना करना चाहती है सरकार

Tejinder Singh
Update: 2020-02-07 14:30 GMT
मीठे पानी की मछली का उत्पादन दोगुना करना चाहती है सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार की राज्य में मीठे पानी में मछली उत्पादन को लगभग दोगुना करने की योजना है। इसके लिए सरकार की ओर से मराठवाड़ा और विदर्भ अंचल के जलाशयों में मीठे पानी में केज कल्चर मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। केज कल्चर के तहत जलाशयों में पिंजरा बनाकर मछली पालना किया जाता है। शुक्रवार को प्रदेश के मस्त्य व्यवसाय मंत्री असलम शेख ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि हमने मौजूदा वर्ष में मीठे पानी में 2 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल मीठे पानी में मछली का उत्पादन 1 लाख 30 हजार मीट्रिक टन है। शेख ने कहा कि महाराष्ट्र मछली उत्पादन में पड़ोसी राज्यों से काफी पीछे है। इसलिए हमने राज्य में पिछले साल की तुलना में मछली उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के जलाशयों और छोटे-छोटे तालाबों के मीठे पानी में मछली उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मछली कृत्रिम नहीं बल्कि कच्चा प्रोटीन है। केज कल्चर मछली पालन को बढ़ावा देने से किसानों को पूरक व्यवसाय के रूप में रोजगार भी मिल सकेगा। शेख ने कहा कि समुद्र में मछली का उत्पादन 4 लाख 63 हजार मीट्रिक टन है। समुद्र से भी मछली उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। 

विदर्भ-मराठवाडा के जलाशयों में केज कल्चर मछली पालन को मिलेगा बढ़ावा

वहीं मस्त्य व्यवसाय विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य के जलाशयों और तालाबों में केज कल्चर से मछली उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। अहमदनगर के मुला नदी के आसपास के इलाकों में 142 लोगों ने केज कल्चर मछली पालन शुरु किया है। सरकार की तरफ से एक लाभार्थी को 24 केज दिया जाता है। 1 केज से कम से कम 2 टन मछली का उत्पादन होता है। मुला क्षेत्र के जलाशयों में 2 हजार केज बनाए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि 1 केज की परियोजना पर लगभग 3 लाख रुपए खर्च होते हैं। 

मिलता है 40 फीसदी अनुदान

केज कल्चर के लिए सामान्य श्रेणी के लाभार्थी को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। जबकि 60 प्रतिशत राशि लाभार्थी को खुद खर्च करना पड़ता है। महिलाओं के अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लाभार्थी को 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है जबकि 40 प्रतिशत राशि की व्यवस्था लाभार्थी को खुद करना पड़ता है। अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए नील क्रांति योजना चला रही है। इस योजना को राज्य में भी प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। 
 

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