मुंबई में कम हुई कोरोना संक्रमण की वृद्धि दर, निजी एंबुलेंस की सेवा लेने पर विचार कर रही महाराष्ट्र सरकार

मुंबई में कम हुई कोरोना संक्रमण की वृद्धि दर, निजी एंबुलेंस की सेवा लेने पर विचार कर रही महाराष्ट्र सरकार

Tejinder Singh
Update: 2020-06-05 14:15 GMT
मुंबई में कम हुई कोरोना संक्रमण की वृद्धि दर, निजी एंबुलेंस की सेवा लेने पर विचार कर रही महाराष्ट्र सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर पालिका (बीएमसी) ने दावा किया कि में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में कमी आने के बीच वायरस की दैनिक औसत वृद्धि में गिरावट दर्ज की गई है। बीएमसी के एक अधिकारी के अनुसार दो जून तक आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के मामलों में औसत वृद्धि आठ फीसदी से ज्यादा थी, जो अब 3.64 फीसदी पर है। देश सर्वाधिक संक्रमण प्रभावित मुंबई में 4 जून तक कोरोना के कुल 44 हजार 931 मामले थे, जबकि 1,465 लोगों की मौत हो चुकी थी। बीएमसी के अनुसार दो जून तक दो लाख आठ हजार नमूनों की जांच की जा चुकी थी। जिसमें 20.18 फीसदी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के मामले को दो गुना होने में अब 19 दिन तक का वक्त लग रहा है। बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने में एक दिन में सर्वाधिक मामले 22 मई को सामने आए थे। जब 1739 लोग संक्रमित पाए गए थे, जबकि 13 मई को सबसे कम 404 मामले थे। संक्रमित मामलों की दैनिक संख्या में गिरावट दर्ज की गई है और 22 मई के बाद से यह अधिकतर समय 1500 के नीचे रही है।

निजी एंबुलेंस की सेवा लेने पर विचार कर रही महाराष्ट्र सरकार

कोरोना के रुप में आयी आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार निजी एंबुलेंस की मदद लेने पर विचार कर रही हैं। इसके अलावा सरकार ऐसी भी व्यवस्था बना रही है, जिससे लोगों को उपलब्ध एंबुलेंस की जानकारी मिल सके। सरकार के पास नौ हजार एंबुलेंस पंजीकृत हैं। शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई। याचिका में दावा किया गया है कि कोरोना के व अन्य मरीजों की सहायता के लिए मुंबई में पर्याप्त एंबुलेंस नहीं है। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार कोरोना की आपदा से निपटने के लिए निजी एंबुलेंस की सहायता लेने पर विचार कर रही हैं। इसके अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। खड़पीठ ने इस याचिका पर 9 जून को सुनवाई रखी हैं। 

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