हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या अग्नि सुरक्षा को लेकर अदालत का निर्देश मान रहे हैं अस्पताल  

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या अग्नि सुरक्षा को लेकर अदालत का निर्देश मान रहे हैं अस्पताल  

Tejinder Singh
Update: 2021-08-03 13:49 GMT
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या अग्नि सुरक्षा को लेकर अदालत का निर्देश मान रहे हैं अस्पताल  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों में आग की दुर्घटनाएं रोकने को लेकर नियमों का पालन किस तरह से किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि अस्पतालों को आग से बचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं। अस्पताल इन निर्देशों का पालन किस तरह से कर रहे हैं। इसकी जानकारी राज्य सरकार हमें एक माह में हलफनामें में दे।सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजेश इनामदार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिसंबर 2020 में जारी किए गए आदेश के मुताबिक सभी राज्यों को कोरोना मरीजों का इलाज करनेवाले हर अस्पताल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। नोडल अधिकारी को महीने में एक बार अस्पताल का फायर ऑडिट का जिम्मा दिया गया था। लेकिन सरकार ने इस विषय में क्या किया है। इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। महाराष्ट्र नर्सिंग होम राजिस्ट्रेशन नियमावली 1973 में किए गए संसोधन के मुताबिक सभी अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य है कि वे हर 6 माह में महानगरपालिका आयुक्त अथवा डायरेक्टोरेट ऑफ फायर सर्विस से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल करें। इस नियम के पालन की क्या स्थिति है। यह भी स्पष्ट नहीं है।

इससे  पहले राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि महाराष्ट्र नर्सिंग होम में रजिस्ट्रेशन नियमावली में संसोधन को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिसके तहत इलेक्ट्रिकल और फायर ऑडिट को अनिवार्य किया है। अस्पताल और नर्सिंग होम के पंजीयन के मानक भी तय किए गए हैं। नए नियमों के मुताबिक अग्नि सुरक्षा को लेकर सक्षम प्राधिकरण के अनापत्ति प्रमाणपत्र के बगैर अस्पताल व नर्सिंग होम को पंजीयन प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जाएगा। 
 

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