हाईकोर्ट ने कैग से कहा- मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे की टोल वसूली से जुड़ी गड़बड़ियों को देख जवाब दें
हाईकोर्ट ने कैग से कहा- मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे की टोल वसूली से जुड़ी गड़बड़ियों को देख जवाब दें
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महालेखा परीक्षक(कैग) को मुंबई –पुणे एक्सप्रेस वे के टोल वसूली की कथित अनियमितता जुड़े आरपों को देखने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल (एमएसआरडीसी) के खाते का आडिट कर अपना निष्कर्ष हलफनामे में दो सप्ताह के भीतर सौपने को कहा है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को भी एक्सप्रेस वे के टोल वसूली में हुई गड़बड़ी के बारे में लगाए गए आरोपों के बारे में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
खंडपीठ ने यह निर्देश सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर सहित इस विषय पर चार लोगों की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद दिया। इन याचिकाओं में टोल वसूली के ठेका देने में हुई गड़बड़ी होने व टोल के रुप में वसूल की गई सही रकम की जानकारी न देने का दावा किया गया है। जबकि वाटेगांवकर ने अपनी याचिका में कहा है कि ठेकेदार ने निर्धारित रकम से अधिक राशि वसूल कर ली है। इसलिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे में साल 2019 के बाद टोल वसूली को अवैध घोषित किया जाए।और टोल वसूली पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा याचिका में टोल वसूल करनेवाले ठेकेदार ने जो अतिरिक्त रकम वसूल की है उसे एमएसआरडीसी के खाते में जमा करने के लिए कहा जाए।
सुनवाई के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता व पेशे से वकील प्रवीण वाटेगांवकर ने खंडपीठ के सामने कहा कि 918 करोड़ रुपए के अग्रिम भुगतान की राशि के बाद प्राइवेट फर्म को 15 साल के लिए(साल2004 से 10 अगस्त 2019) टोल वसूली का ठेका दिया गया था। ताकि एक्सप्रेस वे में लगी पूजी(कैपिटल आउटले) की वूसली की जा सके। जब ठेका दिया गया था तो 15 साल की अवधि के दौरान 4330 करोड़ रुपए के रजास्व आने की अपेक्षा व्यक्त की गई थी। लेकिन 31 जुलाई 2019 तक 6773 करोड़ रुपए का राज्सव आया जो अपेक्षित राशि से 2443 करोड़ रुपए अधिक था। जिसे निजी फर्म ने अपने पास रखा। इस लिहाज से साल 2019 के बाद एक्सप्रेस वे पर टोल की वसूली अवैध है। इस बीच सरकार ने 2030 तक एक्सप्रेस वे में टोल वसूली के ठेके को जारी रखने का निर्णय किया है। क्योंकि सरकार के मुताबिक अभी तक एक्सप्रेस वे की लागत की वसूली नहीं हो पायी है। एमएसआरडीसी को अभी भी 22 हजार 370 करोड़ रुपए की वसूली करना बाकी है।
सुनवाई के दौरान एमएसआरडीसी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि अक्सर लोग टोल का भुगतान किए बिना ही निकल जाते है। जिसके चलते एमएसआरडीसी को एक्सप्रेस वे की लागत नहीं वसूल कर पायी है। हालांकि बुधवार को खंडपीठ ने कहा कि इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है कि अब तक टोल की वसूली नही हो पायी है।
मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने इस मामले में कैग से सहयोग लेने की बात कही और महालेखा परीक्षक को इस पूरे मामले को देखकर हलफनामा दायर करने को कहा।