हाईकोर्ट की टिप्पणी : शादी को समाज में सम्मान का जरिए समझती हैं लड़कियां

हाईकोर्ट की टिप्पणी : शादी को समाज में सम्मान का जरिए समझती हैं लड़कियां

Tejinder Singh
Update: 2019-08-25 08:08 GMT
हाईकोर्ट की टिप्पणी : शादी को समाज में सम्मान का जरिए समझती हैं लड़कियां

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय समाज का यह दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है कि लड़कियों को अभी भी इस बात का भय सताता है कि जब तक उनकी शादी नहीं होगी उन्हें समाज में सम्मान नहीं मिलेगा। मुंबई सत्र न्यायालय ने हाल ही में दुष्कर्म के मामले में एक 51 वर्षीय आरोपी को दोषी ठहराने के बाद दस साल की सजा सुनाते हुए उपरोक्त टिप्पणी की है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी ने एक अनुष्ठान के जरिए पीड़िता के शरीर से बुरी आत्मा निकालने के नाम पर दुष्कर्म किया था। आरोपी ने पीड़िता से कहा था कि उसके शरीर में घुसी बुरी आत्मा उसके विवाह के रास्ते में अवरोध पैदा कर रही है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एचएस शेंडे ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि यह भारतीय समाज का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है कि अभी भी लड़कियों को इस बात का भय सताता है जब तक उनकी शादी नहीं होगी उन्हें समाज में सम्मान नहीं मिलेगा। शादी के बाद जब तक उन्हें (महिला) बेटा नहीं होगा। तब तक उन्हें विवाह के बाद भी सम्मान नहीं मिलेगा। महिला की शादी ठीक तरह से चलेगी तभी उन्हें सम्मान मिलेगा। यदि पति से पहले महिला का निधन होगा तो ही उसे सम्मान मिलेगा। इसी भय के चलते महिलाएं इस तरह के आरोपियों के चंगुल में फंसती हैं। 
 

विवाह के नाम पर छली गई युवती का मामला

अभियोजन पक्ष ने न्यायाधीश के सामने दावा किया कि आरोपी मनोज जानी खुद को ज्योतिष बताकर महानगर के कांदिवली इलाके में एक मैरिज ब्यूरो चलाता था। जहां 31 वर्षीय पीड़िता  टेलिफोन आपरेटर के रुप में काम करती थी। कुछ हफ्ते आरोपी के कार्यालय में काम करने के बाद पीड़िता ने आरोपी से अपनी शादी से जुड़ी परेशानी को साझा किया। इसके बाद आरोपी ने पीड़िता से कहा कि उसके शरीर में बुरी आत्मा का वास है जो उसकी शादी में बांधा डाल रही है। वह इस बांधा को एक पूजा के जरिए दूर कर सकता है। पीड़िता इसके लए राजी हो गई। पूजा के दौरान आरोपी ने पीड़िता को प्रसाद के रुप में भभूती (राख) खाने को दी। जिसे खाने के बाद पीड़िता बेहोश हो गई। इस स्थिति में आरोपी ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद पीड़िता ने वहां से काम छोड़ दिया और उसकी शादी हो गई। फिर भी आरोपी पीड़िता को परेशान करता रहा। जिससे परेशान होकर पीड़िता ने पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा  कि उनके मुवक्किल को इस मामले में फंसाया गया है क्योंकि पीड़िता ने सात साल की देरी के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों व उपलब्ध सबूतों पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि कई बार इस तरह के अपराध अपमान व मानहानि के भय से सामने नहीं आते और चार दीवारी के भीतर दब के रह जाते हैं। विधायिका ने इस पहलू को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के सरंक्षण के लिए कानून बनाए हैं। यह कहते हुए न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे कारावास की सजा सुनाई। 
 

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