LIC के कॉस्ट रेसियो नियम को चुनौती, केन्द्र सरकार और चेयरमैन सहित अन्य को नोटिस

LIC के कॉस्ट रेसियो नियम को चुनौती, केन्द्र सरकार और चेयरमैन सहित अन्य को नोटिस

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-31 14:19 GMT
LIC के कॉस्ट रेसियो नियम को चुनौती, केन्द्र सरकार और चेयरमैन सहित अन्य को नोटिस

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में जीवन बीमा निगम LIC के कॉस्ट रेसियो नियम को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी विकास अधिकारी का दो साल के वेतन और भत्ते उसके बिजनेस से 48 प्रतिशत से अधिक होते है, तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। जस्टिस सीवी सिरपुरकर और जस्टिस अंजुली पालो की युगल बेंच ने केन्द्र सरकार, LIC के चेयरमैन और जोनल मैनेजर को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश दिया है।

LIC में विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत दुबे कॉलोनी कटनी निवासी तापेश रंगारे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि LIC ने वर्ष 2009 में कॉस्ट रेसियो नियम बनाया है। इस नियम के तहत यदि किसी विकास अधिकारी का दो साल के वेतन और भत्ते उसके बिजनेस से 48 प्रतिशत से अधिक होते है तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पीएन दुबे ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के अधीन काम करने वाले एजेंटस की संख्या कम कर दी गई, इसलिए उसका बिजनेस कम हो गया। बिजनेस कम होने पर याचिकाकर्ता को नौकरी से बाहर करने का नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी भी कर्मचारी को नौकरी से बाहर करना असंवैधानिक है। सुनवाई के बाद युगल बेंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

गौरतलब है कि भारतीय जीवन बीमा निगम के विकास अधिकारियों को एजेंटस के माध्ययम से अपना व्यवसाय करना होता है ऐसे में उसका व्यसाय प्रदर्शन काफी हद तक एजेंटों के कार्य प्रदर्शन पर निर्भर करता है, यदि ऐसे में एजेंटोंं की संख्या कम कर दी जाए ता विकाय अधिकारी का व्यवसाय प्रभावित होना स्वाभाविक है। LIC ने वर्ष 2009 में कॉस्ट रेसियो नियम बनाया है। इस नियम के तहत यदि किसी विकास अधिकारी का दो साल के वेतन और भत्ते उसके बिजनेस से 48 प्रतिशत से अधिक होते है तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा।

 

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