नवाब मलिक को हाईकोर्ट का नोटिस, आश्वासन का पालन न करने का लगा आरोप 

मानहानि मामला नवाब मलिक को हाईकोर्ट का नोटिस, आश्वासन का पालन न करने का लगा आरोप 

Tejinder Singh
Update: 2021-12-07 16:28 GMT
नवाब मलिक को हाईकोर्ट का नोटिस, आश्वासन का पालन न करने का लगा आरोप 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव की ओर से दायर मानहानि के मामले में राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने मंत्री मलिक से जानना चाहा है कि जानबूझकर कोर्ट को दिए आश्वासन को तोड़ने के लिए क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी किया जाए। 

मंत्री मलिक ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वे मानहानि के दावे के प्रलंबित रहते वानखेड़े परिवार के खिलाफ मीडिया व सोशल मीडिया में कुछ नहीं कहेंगे। इससे पहले ज्ञानदेव की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ ने न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ को बाताया कि मंत्री मलिक अभी भी अपने बयानों से मेरे मुवक्किल को निशाना बना रहे हैं। जबकि मलिक ने 25 नवंबर 2021 को आश्वासन दिया था कि वे मामले से जुड़े मानहानिक के दावे के निपटारे तक वानखेडे परिवार के लोगों के बारे में मानहानिपूर्ण कोई बात नहीं कहेंगे। लेकिन वे अपने इस आश्वासन पर कायम नहीं हैं। बीते तीन दिसंबर 2021 को मलिक ने मेरे मुवक्किल के खिलाफ अनपेक्षित बाते कही हैं। उन्होंने खंडपीठ के सामने मलिक के साक्षात्कार को लेकर तीन दस्तावेज पेश किया और कहा कि क्या यह सब मजाक है। 

इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने मंत्री मलिक के वकील से पूछा कि आपके मुवक्किल ने कोर्ट को आश्वासन मंत्री के तौर पर दिया था या फिर व्यक्तिगत रुप से, हम अभी मंत्री को कोर्ट में आने के लिए समन जारी करेंगे। वहीं खंडपीठ के सवालों के जवाब में मलिक के वकील ने कहा कि उन्होंने फिलहाल जो बाते कही हैं वह राकांपा के प्रवक्ता के रुप में कही थी। बाकी विषयों पर उन्हें निर्देश लेने का समय दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि मंत्री मलिक ने कोर्ट को दिए अपने आश्वासन को तोड़ा है। इसलिए हम मामले में कोई कार्रवाई करने से पहले उन्हें मामले को लेकर हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं। कोर्ट ने मलिक से जानना चाहा है कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमाना की कार्रवाई क्यों न की जाए। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 10 दिसंबर 2021 को रखी है। 

गौरतलब है कि मंत्री मलिक ने इससे पहले एनसीबी अधिकारी वानखेडे के जन्मप्रमाणपत्र को लेकर सवाल उठाया था। इसके साथ ही दावा किया था कि एनसीबी अधिकारी ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है। कुछ दिनों पहले मलिक ने एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे की मां के मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर सवाल उठाए थे। यही नहीं मलिक ने एनसीबी अधिकारी के पिता का नाम ज्ञानदेव होने की बजाय दाऊद होने का दावा किया था। मानहानि के दावे में ज्ञानदेव ने सवा करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है और मलिक को उनके परिवार के बारे में मीडिया व सोशल मीडिया में बोलने से रोकने का आग्रह किया है। 

 

Tags:    

Similar News