हाईकोर्ट : महिलाओं का गुजाराभत्ता खत्म करने की मांग वाली याचिका खारिज

हाईकोर्ट : महिलाओं का गुजाराभत्ता खत्म करने की मांग वाली याचिका खारिज

Tejinder Singh
Update: 2019-08-16 15:27 GMT
हाईकोर्ट : महिलाओं का गुजाराभत्ता खत्म करने की मांग वाली याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें तलाकशुदा महिला को गुजारा भत्ता देने वाले प्रावधान को रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 में महिलाओं के लिए गुजारे भत्ते का जो प्रावधान किया गया है, वह भेदभाव पूर्ण है। क्योंकि इस धारा के तहत सिर्फ महिलाओं के लिए गुजारे भत्ते का प्रावधान किया गया है। पुरुषों को गुजारा भत्ता मांगने की इजाजत नहीं है। सोलापुर निवासी मोहम्मद हुसैन पाटिल ने इस विषय पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। पाटिल को स्थानीय पारिवारिक अदालत ने तलाक के बाद पत्नी को 30 हजार रुपये और उसके नाबालिग बच्चे को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। जिसे पाटिल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जाए कि वह गुजारे भत्ते के संबंध में दिशा निर्देश तैयार करे, जिससे गुजारा भत्ते की रकम तय करने में महिला की सिर्फ कमाने की क्षमता पर नहीं बल्कि उसकी शैक्षणिक योग्यता पर भी विचार किया जाए। 

महिला-पुरुष में भेदभाव करता है यह प्रावधान: याचिकाकर्ता

न्यायमूर्ति अकिल कुरेशी व न्यायमूर्ति एस जे कथावला की खंडपीठ के सामने पाटिल की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि धारा 125 एक कल्याणकारी प्रावधान है। जिसके तहत समाज के कमजोर वर्ग को सरंक्षण दिया गया है।  इसके साथ ही ऐसे लोगों को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य किया गया है जो क्षमता होने के बावजूद गुजारा भत्ता देने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हैं खंडपीठ ने पाटील की याचिका को खारिज कर दिया।
 

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