विधान परिषद उप सभापति चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, बीजेपी विधायक ने दी थी चुनौती
विधान परिषद उप सभापति चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, बीजेपी विधायक ने दी थी चुनौती
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट में शिवसेना विधायक नीलम गोरे के विधानपरिषद उपसभापति चुने जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक गोपीचंद पडलकर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने 7 जनवरी 2021 को इस मामले को लेकर अपना फैसला सुनाने की बात कही है। पडलकर ने याचिका में दावा किया है कि उपसभापति का चुनाव विधानपरिषद के कामकाज से जुड़े नियमों के विपरीत हुआ है। यह स्थापित लोकतांत्रिक सिद्धान्तों व संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। इसलिए इस चुनाव को अमान्य घोषित किया जाए।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि चूंकि वे कोरोना संक्रमित थे इसलिए वे चुनाव में न तो हिस्सा ले पाए और न ही मतदान कर पाए। क्योंकि कोरोना संक्रमित सदस्य के सदन के भीतर प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। चुनाव के दौरान उनके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने चुनाव को स्थगित करने का आग्रह भी किया था। फिर भी नियमो को ताक पर रख कर मनमानी तरीके से चुनाव कराया गया। जो कि पूरी तरह से अनुचित है। इसलिए 8 सितंबर 2020 को विधानपरिषद के उपसभापति के चुनाव परिणाम को लेकर जारी अधिसूचना को रद्द किया जाए। वहीं राज्य सरकार ने इस मामले को लेकर दायर हलफनामे में कहा है कि राज्य विधानपरिषद के उपसभापति के चुनाव को लेकर सदस्यों को नोटिस देने से जुड़े नियम को कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। नियम का यह निलंबन सदन के सदस्यों की मंजूरी व सभापति की सहमति से किया गया था।