हाईकोर्ट ने कहा - कोरोना के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करे सरकार

हाईकोर्ट ने कहा - कोरोना के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करे सरकार

Tejinder Singh
Update: 2021-06-09 12:27 GMT
हाईकोर्ट ने कहा - कोरोना के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करे सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस को समाज का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को वायरस के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि केन्द्र को सीमा पर सुरक्षा बल तैनात कर वायरस का इंतजार करने की बजाय इसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की बुजुर्गों व दिव्यांगों के लिए घर के पास टीकाकरण केंद्र बनाने की योजना ऐसी है जैसे कोरोना से ग्रसित शख्स को टीकाकरण केंद्र बुलाना हो। कोरोना वायरस हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। हमे इसे खत्म करना पड़ेगा। यह शत्रु कुछ इलाकों में रहता है। लेकिन सरकार वहां नहीं जाना चाहती हैं। ऐसे में जरूरी है कि केंद्र सरकार सर्जिकल स्ट्राइक कर इसे बाहर निकाले।

खंडपीठ ने कहा कि सरकार लोगों की भलाई के लिए निर्णय ले रही है। लेकिन इस तरह के फैसले लेने में इतना विलंब हो जाता है जिससे काफी लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। खंडपीठ के सामने बुजुर्गों के लिए घर-घर टीका की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर पेशे से वकील धृति कपाडिया व कुणाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

मंगलवार को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया था कि घर घर जाकर बुजुर्गों-दिव्यांगों को टीका लगा पाना संभव नहीं है लेकिन घर के निकट टीकाकरण केंद्र बनाए जा सकते हैं। 

अन्य राज्यों में हो सकता है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं

बुधवार को खंडपीठ ने प्रसंगवश कहा कि केरला, बिहार, उड़ीसा व जम्मू- कश्मीर के अलावा वसई विरार महानगरपालिका में घर घर जाकर बुजुर्गों को टीका लगाया जा रहा है। आखिर इसे दूसरे राज्यों में क्यों नहीं प्रोत्साहित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ऐसे लोगों को नहीं दबा सकती है जो घर-घर जाकर लोगों को टीका लगाना चाहते हैं। ऐसे में सिर्फ महाराष्ट्र व मुंबई महानगरपालिका घर-घर टीके के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की प्रतीक्षा कर रही है। खंडपीठ ने कहा कि हमने हमेशा मुंबई मनपा की सराहना की है वह दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकती हैं। 

नेता को टीका लगाने कैसे गए उनके घर 

इस बीच खंडपीठ ने मुंबई मनपा से पूछा कि जब टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी तो कैसे एक वरिष्ठ राजनेता को घर जाकर टीका दिया गया था। यह मनपा ने किया था या फिर राज्य सरकार ने। हम इसका उत्तर चाहते हैं। किसी न किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। खंडपीठ ने मनपा व सरकारी वकील को इसका पता लगाने का निर्देश दिया है। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि हमे विश्वास है कि केंद्र सरकार ऐसी नीति लेकर आएगी। जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को इस बारे में पुनर्विचार करने को कहा है और याचिका पर अगली सुनवाई 11 जून 2021 को रखी है। 

वे क्या करें, जिनके पास नहीं है टीकाकरण के लिए प्रमाण पत्र

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि जिनके पास टीकाकरण के लिए जरूरी पहचान पत्र नहीं है ऐसे लोगों के टीके के लिए जारी दिशा निर्देशों (एसओपी) के प्रति जागरूकता लाने की दिशा में केंद्र व महाराष्ट्र सरकार ने कौन से कदम उठाए हैं? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया। इसके साथ ही कहा कि क्या केंद्र सरकार की ओर से जारी एसओपी में मानसिक रुप से कमजोर व ऐसे बच्चों को शामिल किया गया है, जिनका कोई कानूनी संरक्षक नहीं है। याचिका में मुख्य रूप से कोविन पोर्टल पर पंजीयन करने व पहचानपत्रविहीन लोगों को टीके में आ रही दिक्कतो को उठाया गया है।सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार ने टीके के पंजीयन के लिए सात पहचान पत्र को मान्यता दी है। जिसमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पेंशन बुक, पासपोर्ट व ड्राईविंग जैसे सात दस्तावेज शामिल हैं। लेकिन जिनके पास सात में से कोई दस्तावेज नहीं हैं ऐसे लोगों की पहचान करने का जिम्मा जिला स्तर पर सरकारी अधिकारियों को दिया गया है। इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से एसओपी भी जारी की गई है। लेकिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। जिसके चलते काफी लोग टीके से वंचित हो रहे हैं। यह खास तौर से ग्रामीण इलाकों में हो रहा है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि काफी लोग ग्रामीण इलाकों में टीका ले रहे हैं। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार एसओपी के विषय में जागरूकता फैलाए। हम जानना चाहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को टीके के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 17 जून 2021 को रखी है। 

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