अंग प्रत्यारोपण में नियमों के चलते आ रही अड़चन को दूर करेगा हाईकोर्ट

अंग प्रत्यारोपण में नियमों के चलते आ रही अड़चन को दूर करेगा हाईकोर्ट

Tejinder Singh
Update: 2018-09-13 13:53 GMT
अंग प्रत्यारोपण में नियमों के चलते आ रही अड़चन को दूर करेगा हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि वह अंग प्रत्यारोपण से जुड़े नियमों की अड़चनों को दूर कर उन्हें व्यावाहिरक बनाएगी। ताकि लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़ा। मौजूदा नियमों के तहत जिन अस्पतालों में एक साल में 25 अंग प्रत्योरोपण किए जाते हैं, ऐसी अस्पतालों की कमेटी को ही अंग प्रत्यारोपण की मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है। जबकि जिन अस्पतालों में एक साल में 25 से कम अंग प्रत्यारोपण होते है, इस तरह की अस्पतालओं में भर्ती मरीजों को अंग प्रत्यारोपण के लिए राज्य सरकार की प्रधिकृत कमेटी से मंजूरी लेनी पड़ती है। इस दौरान मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

हाईकोर्ट में सिध्दांत पाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिसमें किडनी प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी के दौरान आने वाली दिक्कतों के मुद्दे को उठाया गया है। पहले अंग प्रत्यारोपण को लेकर राज्य सरकार की प्रधिकृत कमेटी मंजूरी देती थी, लेकिन अब सरकार ने अंग प्रत्यारोपण को लेकर केंद्र सरकार के नियमों को स्वीकार किया है। जिसके तहत जिन अस्पतालों में एक साल में 25 अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं ऐसी अस्पतालों की हास्पिटल आधारित कमेटी को मंजूरी देने का अधिकार मिला है। 

इससे पहले सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस सोनक की बेंच के सामने कहा कि राज्य भर में 172 अस्पताल हैं। जहां अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं पर इसमे से सिर्फ 16 अस्पताल ही ऐसे हैं जहां एक साल में 25 अंग प्रत्यारोपण होते है। इन अस्पतालों की हास्पिटल आधारित कमेटी अंग प्रत्यारोपण को मंजूरी देती है बाकी अस्पतालों में भर्ती लोगों को राज्य सरकार की प्रधिकृत कमेटी के पास मंजूरी के लिए आना पड़ता है। इस पर बेंच ने कहा कि हम जानना चाहते है कि सरकार के पास अंग प्रत्यारोपण से जुड़े आकड़े पेश करने की प्रक्रिया क्या है। इसकी जानकारी हमे अगली सुनवाई के दौरान दी जाए।

बेंच ने इसके लिए मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजकर से भी सहयोग मांगा है। बेंच ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कानून में प्रस्तावित संसोधन में कितना समय लगेगा यह स्पष्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में हम अंग प्रत्यारोपण से जुड़े नियमों को व्यावहारिक बनाना चाहते है और इससे जुडी खामियों को दूर करना चाहते है। यह कहते हुए बेंच ने मामले की सुनवाई 21 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। 

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