महाराष्ट्र को भविष्य में शर्मिंंदगी से बचाने आदेश मुख्यमंत्री को भेजेंगे

हाईकोर्ट महाराष्ट्र को भविष्य में शर्मिंंदगी से बचाने आदेश मुख्यमंत्री को भेजेंगे

Tejinder Singh
Update: 2021-09-09 15:29 GMT
महाराष्ट्र को भविष्य में शर्मिंंदगी से बचाने आदेश मुख्यमंत्री को भेजेंगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सुनिश्चित करने को कहा है कि वह महीने में सिर्फ दो दिन महज दो घंटे पानी मिलने का दावा करनेवाले ठाणे जिले के कांबे गांव के लोगों को गणेश चतुर्थी की शुरुआत से पहले टैंकर से पानी की आपूर्ति करे। हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस आदेश की प्रति मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजेगे अन्यथा राज्य पर एक धब्बा लगा रहेगा। यह शर्मनाक है कि आजादी के 75 साल बाद पानी की मांग को लेकर इस तरह की याचिकाएं आ रही है। इसलिए हम इस मामले को लेकर जारी आदेश को राज्य के मुख्यमंत्री को भेजेंगे, ताकि महाराष्ट्र को अब आगे न शर्मिंदा होना पड़े। इससे पहले हाईकोर्ट ने बुधवार को कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि आजादी के 75 साल बाद भी पानी के लिए लोगों का अदालत का दरवाजा खटखटाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि पानी मिलना लोगों का मौलिक अधिकार है। 

गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पानी की समस्या से जूझ रहे याचिकाकर्ताओं (गांववालों) की समस्या का समाधान निकालेगी। इस बारे में पानी की आपूर्ति से जुड़े मामले को देखनेवाली निजी कंपनी एसटीईएम के प्रबंध निदेशक व संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलायी जाएगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि उन्हें कंपनी के प्रबंध निदेशक पर भरोसा नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले को देखने के लिए मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त इकबाल चहल की अध्यक्षता में विशेष कमेटी बनाई जाए।

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आरडी सूर्यवंशी ने कहा कि त्योहार शुरु होनेवाले है। ऐसे में जरुरी है कि गांववालों को पानी मिले। कम से कम पानी के दस टैंकर गांव में भेजे जाए। इस पर कुंभकोणी ने कहा कि गांव में पानी के टैंकर भेजे जाएंगे और एसटीईएम कंपनी पानी के टैंकर का खर्च उठाएगी। उन्होंने कहा कि इलाके के अवैध पानी के कनेक्शन काटने को लेकर भी एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार गांववालों को सीधे पानी की आपूर्ति करने के बारे में भी योजना बना रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम इस मामले में दिए गए अपने आदेश की प्रति मुख्यमंत्री को भेजेगे ताकि महाराष्ट्र को भविष्य में ऐसी शर्मींदगी का सामना न करना पड़े। 
 

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