बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर की स्लीमनाबाद टनल निर्माण में लेटलतीफी की होगी उच्च स्तरीय जांच

बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर की स्लीमनाबाद टनल निर्माण में लेटलतीफी की होगी उच्च स्तरीय जांच

Bhaskar Hindi
Update: 2019-02-18 08:29 GMT
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डिजिटल डेस्क, सतना। बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर(आरबीसी) की स्लीमनाबाद में 8 साल से 799 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन सुरंग में विलंब का मामला अंतत: उच्च स्तरीय जांच के दायरे में आ गया है। जांच समिति विलंब के कारणों की पहचान करने के साथ इसके लिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही भी तय करेगी। ये मसला कांग्रेस सरकार के वचनपत्र में शामिल है। आरोप हैं कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की उपेक्षा के कारण महज 3 साल में बनने वाली 11.93 किलोमीटर लंबी और 9.20 मीटर चौड़ी सुरंग पूरे 8 वर्ष बाद भी अधूरी है। काम में तेजी लाने के इरादे से हाल ही में  नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल ने स्लीमनाबाद पहुंच कर स्थल निरीक्षण कर चुके हैं। बरगी के आरबीसी प्रोजेक्ट पर एक बड़ी बैठक भोपाल में जल्दी ही प्रस्तावित है।

अब तक खर्च हुए 330 करोड़
बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर की सुरंग के काम में अब तक तकरीबन 330 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इस टनल के लिए वर्ष 2008 में वर्क आर्डर हुआ था। इसके लिए 3 साल की टाइम लिमिट तय की गई थी। काम का जिम्मा मेसर्स पटेल एसईडब्ल्यू संयुक्त उपक्रम हैदराबाद को सौंपा गया था। सुरंग के निर्माण के लिए अमेरिका से मशीन खरीदी गई, वर्ष 2011 में जैसे -तैसे काम शुरु हुआ, लेकिन तकनीकी तौर पर अनफिट होने के कारण मशीन खराब हो गई। बाद में जर्मन तकनीक पर आधारित सेकंड हैंड मशीनें काम पर लगाई गईं।

अभी ये है हालत
बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक टनल की अप और डाउन स्ट्रीम पर 2 अलग-अलग मशीनें लगाई गई हैं। अप स्ट्रीम  पर लगी मशीन अभी तक 1602.75 मीटर और डाउन स्ट्रीम पर की मशीन 2500.22 मीटर खुदाई कर पाई हैं। मौके पर अभी भी 7846.09 मीटर की खुदाई शेष है।

आरबीसी प्रोजेक्ट - 27 साल में 5 गुना बढ़ी लागत
नर्मदा विकास प्राधिकरण (एनएवीडीए) के बरगी दाहिनी तटवर्ती नहर(आरबीसी)के प्रोजेक्ट के लिए केंद्रीय जल आयोग ने वर्ष 1992 में स्वीकृति प्रदान की थी। तब इस प्रोजेक्ट की लागत 1 हजार 101 करोड़ आंकी गई थी। प्रोजेक्ट वर्ष 2011 में पूरा हो जाना चाहिए था। अब तक तकरीबन 40 फीसदी उपलब्धि के साथ इस प्रोजेक्ट पर लगभग 2 हजार 160 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। वर्ष 2019 की कार्यपूर्णता अवधि की शर्त पर वर्ष 2011 में इस प्रोजेक्ट को पहला एक्सटेंशन दिया गया था। तब पुनरीक्षित लागत 5 हजार 127 करोड़ तय की गई थी। जानकार सूत्रों के मुताबिक जिस रफ्तार से प्रोजेक्ट चल रहा है, उससे लगता नहीं है कि काम वर्ष 2025 तक भी पूरा हो पाएगा।

 

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