16 करोड़ का राजस्व बकाया होने के बाद भी सोम डिस्टिलरीज का लायसेंस कैसे हो गया रिन्यू -हाईकोर्ट 

16 करोड़ का राजस्व बकाया होने के बाद भी सोम डिस्टिलरीज का लायसेंस कैसे हो गया रिन्यू -हाईकोर्ट 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-23 07:38 GMT
16 करोड़ का राजस्व बकाया होने के बाद भी सोम डिस्टिलरीज का लायसेंस कैसे हो गया रिन्यू -हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि 16 करोड़ रुपए का राजस्व बकाया होने के बाद भी शराब निर्माता कंपनी सोम डिस्टिलरीज का लायसेंस कैसे रिन्यू कर दिया गया। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने राज्य सरकार, आबकारी आयुक्त, सोम डिस्टिलरीज और धार कलेक्टर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 20 अगस्त को नियत की गई है। 

ईओडब्ल्यू से जांच कराने का अनुरोध 

भोपाल निवासी गौरव गुप्ता और अन्य की ओर से जनहित याचिका दायर कर डिफाल्टर कंपनी का लायसेंस रिन्यू करने के मामले में ईओडब्ल्यू से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि सोम डिस्टिलरीज का धार जिले में शराब का कारखाना है। वर्ष 2017 में उन्होंने आबकारी विभाग में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन दायर कर डिफाल्टर शराब निर्माता कंपनियों की सूची मांगी। आबकारी विभाग ने 6 नवंबर 2017 को सूचना के अधिकार तहत जानकारी दी कि सोम डिस्टिलरीज पर वर्ष 2004-05 से लगभग 16 करोड़ रुपए राजस्व बकाया है। इसकी वजह से कंपनी का नाम डिफाल्टरों की सूची में शामिल किया गया है। जनहित याचिका में कहा गया कि आबकारी विभाग ने 29 दिसंबर 2017 को पत्र भेजकर बताया कि गलती से कंपनी का नाम डिफाल्टरों की सूची में शामिल हो गया था। कंपनी का नाम डिफाल्टरों की सूची से बाहर के लिए प्रकरण जिला स्तरीय समिति को भेजा गया है। 

समिति ने कंपनी को नहीं किया डिफाल्टर की सूची से बाहर 

जनहित याचिका में कहा गया कि 24 जनवरी 2018 को जिला स्तरीय समिति ने कंपनी को डिफाल्टर की सूची से बाहर नहीं किया। नियमों के अनुसार डिफाल्टर कंपनी का लायसेंस रिन्यू नहीं किया जाता है। राज्य सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए कंपनी का वर्ष 2018-19 के लिए लायसेंस रिन्यू कर दिया। 
 

ईओडब्ल्यू से कराई जाए जांच 

अधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि डिफाल्टर कंपनी का लायसेंस रिन्यू करने से राज्य सरकार को राजस्व की क्षति पहुंची है। इस मामले में ईओडब्ल्यू से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
 

Tags:    

Similar News