मुकदमों की सुनवाई की नई व्यवस्था में सहूलियतें कम खामियां ज्यादा, वकील रोज हो रहे परेशान

मुकदमों की सुनवाई की नई व्यवस्था में सहूलियतें कम खामियां ज्यादा, वकील रोज हो रहे परेशान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-05-22 08:48 GMT
मुकदमों की सुनवाई की नई व्यवस्था में सहूलियतें कम खामियां ज्यादा, वकील रोज हो रहे परेशान

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल को भेजी शिकायत
डिजिटल डेस्क जबलपुर।
उच्च न्यायालय में मुकदमों की सुनवाई से संबंधित नई व्यवस्था में आ रहीं खामियों का हवाला देते हुए मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल को पत्र भेजा है। चार पन्नों के पत्र में आरोप है कि नई व्यवस्था में सहूलियतें कम हैं और खामियां ज्यादा, जिससे अधिवक्ताओं को हर रोज परेशान होना पड़ रहा है। एसोसिएशन ने इन खामियों को जल्द दूर करने की मांग हाईकोर्ट प्रशासन से की है।
हाईकोर्ट बार द्वारा रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अधिवक्ताओं की ईमेल आईडी रजिस्टर न होने से उनके मुकदमें दायर नहीं हो पा रहे हैं। कुछ नए मुकदमों की सुनवाई 3-4 दिनों में हो रही है तो कई मुकदमें 20 से 30 दिनों के बाद भी सुनवाई पर नहीं आ पा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान अधिवक्ता कोर्ट नहीं जा पा रहे और उन्हें कोई परेशानी आती है तो हैल्पलाईन नंबरों पर फोन रिसीव ही नहीं हो पाते। फाईलिंग और चैकिंग स्टाफ के लिए स्टाफ बढ़ाए जाने, जमानत अर्जियों पर सुनवाई से पहले ही संबंधित मामले की केस डायरी, आपत्तियां बुलाई जाएं, ताकि बमुश्किल लगने वाले मामले बिना वजह 2 से 4 सप्ताह के लिए न बढ़ सकें। ईकोर्ट फीस से 30 जून तक राहत देने, छोटे मोटे डिफॉल्ट को दूर करने के निर्देश भी दिए जाएं। हाईकोर्ट बार का यह भी कहना है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई और ई फाईलिंग का अनुभव वकीलों के लिए नया है, इसलिए समस्या के निराकरण के लिए हैल्पलाईन नंबर और काउंटर बनाए जाएं। हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष रमन पटेल और सचिव मनीष तिवारी ने कहा है कि सभी समस्याओं का निराकरण जल्द से जल्द किया जाए, ताकि सुनवाई की प्रक्रिया सुलभ और सरल हो सके। हाईकोर्ट बार द्वारा भेजे गए पत्र को लेकर प्रिंसिपल रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि हाईकोर्ट बार द्वारा भेजे गए पत्र के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।
 

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