ध्वनि प्रदूषण के लिए गणेश मंडल को न्यायालय परिसर में पौधा लगाने का निर्देश

ध्वनि प्रदूषण के लिए गणेश मंडल को न्यायालय परिसर में पौधा लगाने का निर्देश

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-13 14:12 GMT
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डिजिटल डेस्क,मुंबई। त्यौहारों के दौरान ध्वनि प्रदूषण कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले गणेश मंडलों को महानगर की एक स्थानीय अदालत ने अनोखी सजा सुनाई है। जिसके तहत ध्वनि प्रदूषण के लिए  दोषी पाए गए गणेश मंडलों को अदालत ने सजा के रुप में न्यायालय परिसर में पेड़ लगाने का निर्देश दिया है। 

त्यौहारों के समय होनेवाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर अदालत ने पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत पुलिस ने पर्यावरण से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए 39 गणेश मंडलों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में इस संबंध में आरोपपत्र दायर किया था। महानगरीय दंडाधिकारी अनुष्का रहाणे के सामने सभी गणेश मंडल के प्रतिनिधि हाजिर हुए।

 मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने बाद मैजिस्ट्रेट ने कहा कि गणेश मंडलो ने पर्यावरण संरक्षण कानून की धारा 15 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। इसलिए हर गणेश मंडल पर पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया जाता है और उन्हें न्यायालय परिसर में एक-एक पेड़ लगाने का निर्देश दिया जाता है। इसके बाद मामले में आरोपी मंडल के प्रतिनिधि कोर्ट के बाहर से एक-एक पौधा खरीद कर लाए और उसे न्यायालय परिसर में लगाया। न्यायालय परिसर में जिस गमले में पौधा लगाया गया है उसमे संबंधित गणेश मंडल का नाम भी लिखा गया है। 

 बंद को नियंत्रित करने के लिए नीति बनाने की मांग से जुड़ी याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज

सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के स्वरुप को तय करने को लेकर नीति बनाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को बांबे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह याचिका नई मुंबई के बेलापुर व्यापारी संघ ने दायर की थी। याचिका में भीमा-कोरेगांव व मराठा क्रांति मोर्चा के प्रदर्शन के दौरान  हिंसा के कारण हुए नुकसान का हवाला देकर सरकार से बंद व धरना प्रदर्शन को नियंत्रित किए जाने के लिए अलग कानून व नीति बनाने की मांग की गई थी।

याचिका में दावा किया गया था कि सार्वजनिक बंद व प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर सार्वजनिक व निजी संपत्ति तथा वाहनों का नुकसान होता है। इस दौरान व्यापारी व कारोबारी अपना काम नहीं कर पाते है। जिससे होने भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए बंद को नियंत्रित करने के लिए कानून लाया जाए।  मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया ।

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