कोविड के मरीजों का भी क्लेम देने में पीछे हट रहीं इंश्योरेंस कंपनी - पीडि़तों का आरोप - हम लोग महीनों से भटक रहे बिल देने के बाद भी

कोविड के मरीजों का भी क्लेम देने में पीछे हट रहीं इंश्योरेंस कंपनी - पीडि़तों का आरोप - हम लोग महीनों से भटक रहे बिल देने के बाद भी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-05-06 09:13 GMT
कोविड के मरीजों का भी क्लेम देने में पीछे हट रहीं इंश्योरेंस कंपनी - पीडि़तों का आरोप - हम लोग महीनों से भटक रहे बिल देने के बाद भी

डिजिटल डेस्क जबलपुर । किसी भी तरह की बीमारी होती है, तो हमारी इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देती है। इसी तरह के लुभाने वादे कर बीमा कंपनी के एजेंटों के माध्यम से बीमा कराया जाता है। पीडि़तों का आरोप है कि जब पॉलिसी धारक बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं तो बीमा कंपनी अपना असली रूप दिखाती है। ऐसे ही अनेक मामले शिकायतों के माध्यम से आए हैं, जिसमें कोविड के मरीजों को भी बीमा कंपनी क्लेम नहीं दे रही है। अस्पताल व दवाइयों के बिल देने के बाद भी बीमा कंपनियाँ पीडि़तों को चक्कर लगवा रही हैं। तरह-तरह के दस्तावेज माँगे जाते हैं। समय पर डिमांड के अनुसार दस्तावेज उपलब्ध करा भी दिए जाते हैं, तो बीमा का क्लेम महीनों बाद भी कंपनी ने नहीं दिया। टोल-फ्री के माध्यम से संपर्क किया गया पर पॉलिसी धारक को सही जानकारी नहीं मिल रही है। अब बीमित व्यक्तियों के सामने ये सवाल बार-बार आ रहे हैं कि वे अब किसके पास क्लेम के लिए गुहार लगाएँ।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
5 महीने से चोलामंडलम एमएस बीमा कंपनी के लगा रहे चक्कर
सालीवाड़ा मण्डला रोड निवासी संजय वर्मा ने बताया कि चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी से उन्होंने अपने परिवार का स्वास्थ्य बीमा कराया था। पॉलिसी की लगातार किश्त भी रिन्यू के लिए जा रही है। उनकी पत्नी शकुन्तला वर्मा 21 दिसम्बर को अचानक बीमार हो गई थीं। उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो वहाँ खुलासा हुआ कि कोरोना संक्रमण की शिकार हो गई हैं। 6 दिनों तक उनका निजी अस्पताल में इलाज चला। इस बीच अस्पताल के माध्यम से इंश्योरेंस कंपनी से कैशलेस की बात की गई, लेकिन कंपनी ने इनकार कर दिया। उन्होंने पूरा इलाज कैश में कराया। उसके बाद अस्पताल से मिले बिलों को कंपनी में क्लेम किया। करीब ढ़ाई लाख के बिल का परीक्षण इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा कर लिया गया है, लेकिन आज तक उसका बीमा कंपनी निराकरण नहीं कर पाई। पॉलिसी धारक ने लगातार चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस से संपर्क किया पर आज-कल कहते हुए उन्हें चक्कर लगवाया जा रहा है।
बीमा कंपनी ने कहा था इलाज कराने के बाद देंगे अस्पताल का बिल
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से हर व्यक्ति इस उम्मीद के साथ इंश्योरेंस कराता है कि मुसीबत के वक्त कुछ राहत मिलेगी, लेकिन मुसीबत के वक्त ही अगर राहत न मिले तो कंपनी से विश्वास ही उठ जाएगा। ये आरोप गाडरवारा एमपीईबी कॉलोनी निवासी अनुपम शर्मा ने लगाएँ हैं। पीडि़त का कहना है कि उनकी पत्नी अनीता कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गई थीं। स्थानीय अस्पताल में इलाज चला और जब हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें भोपाल के निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहाँ लंबे समय तक अस्पताल में इलाज चला और इस दौरान स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से कैशलेस की बात की गई, तो उनका कहना था कि आप इलाज करा लें और अस्पताल व दवाइयों का बिल लेकर हमारे पास आ जाएँ, हम आपको क्लेम दे देंगे। कंपनी के वादे के अनुसार अनुपम ने पूरे बिल चुकता कर दिए और अब वे बीमा कंपनी से क्लेम पाने के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें आज तक राहत नहीं मिली।

इनका कहना है
मती शकुंतला वर्मा के अस्पताल व दवाइयों के बिलों का भुगतान 6 दिनों में कर दिया जाएगा। बिलों का परीक्षण करने के बाद एनईएफटी उनके अकाउंट नंबर में कर दी जाएगी। हमारी कंपनी पॉलिसी धारकों को बेवजह परेशान नहीं करती है। 
अभय सिंह, क्लेम मैनेजर, चोलामंडलम एमएस

अनीता शर्मा का बीमा क्लेम के बारे में हम देखकर ही बता सकेंगे। पॉलिसी नंबर हमें बताएँ या फिर पीडि़त हमारे ऑफिस में संपर्क करता है, तो हम जल्द ही प्रकरण का निराकरण करने का प्रयास करेंगे।
कुलदीप मिश्रा, ब्रांच मैनेजर, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी

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