पत्रकार गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को मिली राहत

पत्रकार गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को मिली राहत

Tejinder Singh
Update: 2020-12-15 13:28 GMT
पत्रकार गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फर्जी टेलिवीजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) मामले में पत्रकार अर्णब गोस्वामी व रिपब्लिक टीवी के कर्मचारियों को बांबे हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिली है। सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने हाईकोर्ट में स्पष्ट किया है कि पुलिस बुधवार यानी 16 दिसंबर 2020 तक रिपब्लिक टीवी के चालक-मालक व इससे संबंधित किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं करेगी। पिछले दिनों मुंबई पुलिस ने इस मामले को लेकर आरोपपत्र दायर किया था जिसमे आरोपी के रुप में गोस्वामी का नाम नहीं था लेकिन आरोपपत्र में रिपबल्कि टीवी के चालक-मालक व संबंधित व्यक्ति को संदिग्ध आरोपी दिखाया गया था। इसलिए गिरफ्तारी की आशंका से ग्रस्त गोस्वामी ने हाईकोर्ट से अंतरिम राहत देने का आग्रह किया था। मंगलवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने एआरजी आउटलर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड व गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान गोस्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने कहा कि नियमानुसार आरोपी की सिर्फ तीन श्रेणियां होती है। जैसे ज्ञात आरोपी,अज्ञात आरोपी व फरार आरोपी। आरोपपत्र में संदिग्ध आरोपी को शामिल नहीं किया जा सकता है फिर भी आरोपपत्र में रिपब्लिक टीवी के चालक-मालक व संबंधित व्यक्ति को संदिग्ध आरोपी के रुप में दिखाया गया है। जो कानूनी रुप से सही नहीं है। 

उन्होंने दावा किया कि पुलिस उनके मुवक्किल को गिरफ्तार करने के लिए दिल्ली गई हुई है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है जबकि उनका अग्रिम जमानत कोर्ट में प्रलंबित था इसलिए उनके मुवक्किल को गिरफ्तारी से राहत दी जाए। क्योंकि पुलिस मनमाने तरीके से इस मामले में गिरफ्तारियां कर रही है। इस दौरान सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने कहा कि आरोपपत्र में गोस्वामी का नाम शामिल नहीं है ऐसे में उन्हें कैसे राहत दी जा सकती है। किंतु श्री पोंडा की ओर से दी गई दलीलों के तहत खंडपीठ ने श्री ठाकरे को इस मामले में कार्रवाई को लेकर निर्देश लेने को कहा। इसके बाद सरकारी वकील ठाकरे ने कहा कि पुलिस एक दिन के लिए इस मामले में कार्रवाई नहीं करेगी। लेकिन उसकी जांच जारी रहेगी। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

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