MP : प्रदेश के 566 पुलिस थानों में बने लेडीज टॉयलेट, शेष के लिए फंड रिलीज

MP : प्रदेश के 566 पुलिस थानों में बने लेडीज टॉयलेट, शेष के लिए फंड रिलीज

Bhaskar Hindi
Update: 2018-01-17 07:44 GMT
MP : प्रदेश के 566 पुलिस थानों में बने लेडीज टॉयलेट, शेष के लिए फंड रिलीज

डिजिटल डेस्क जबलपुर। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब देकर कहा है कि प्रदेश के 1095 में से 566 पुलिस थानों में वर्ष 2000 से 2004 के बीच महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट बनाए गए हैं। इसी तरह शेष 529 थानों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। सरकार की ओर से यह जवाब उस जनहित याचिका पर दिया गया, जिसमें  प्रदेश के थानों और आउटपोस्ट पर महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट न होने को चुनौती दी गई है। इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।
गौरतलब है कि जबलपुर के अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है पुलिस विभाग में काम करने वाली महिला अधिकारियों व अन्य स्टाफ के लिए अलग से साफ सुथरे टॉयलेट होने चाहिए। अभी इन महिला कर्मचारियों को कॉमन टॉयलेट में जाना पड़ता है, जो आमतौर पर साफ-सुथरे नहीं होते। कार्यस्थल पर वाशरूम और रिटायरिंग रूम जैसी मूलभूत सुविधाएं कामकाजी महिलाओं के सम्मान से जुड़ी होती हैं। आवेदक के अनुसार बिना मूलभूत सुविधाओं के महिला कर्मियों से दायित्वों का निर्वहन करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती, क्योंकि ये उनके स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है। आवेदक का दावा है कि महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट न होना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।  इन आधारों के साथ दायर याचिका में राहत चाही गई है कि आज की स्थिति में अनावेदकों से स्टेटस रिपोर्ट बुलाकर यह देखा जाए कि वास्तव में किन पुलिस स्टेशनों और आउट पोस्ट पर महिला पुलिस कर्मियों के लिए अलग से वाशरूम हैं। साथ ही जिन थानों में अलग से वाशरूम नहीं हैं, वहां पर उपलब्ध कराने के निर्देश अनावेदकों को दिए जाएं। हाईकोर्ट द्वारा विगत 16 नवम्बर को इस मामले पर जारी किए गए नोटिस के बाद राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया है। जवाब में 566 थानों में महिलाओं के लिए टॉयलेट बने होने और शेष थानों में टॉयलेट बनाने के लिए फण्ड जारी के बाद प्रक्रिया जारी होने की बात भी कही गई है। इस मामले में याचिकाकर्ता अपना पक्ष स्वयं रख रहे हैं।

 

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