शीत सत्र में पेश होगा लिफ्ट-एस्केलेटर से जुड़ा विधेयक, GEM वेब पोर्टल से होगी खरीदी

शीत सत्र में पेश होगा लिफ्ट-एस्केलेटर से जुड़ा विधेयक, GEM वेब पोर्टल से होगी खरीदी

Tejinder Singh
Update: 2017-11-28 14:58 GMT
शीत सत्र में पेश होगा लिफ्ट-एस्केलेटर से जुड़ा विधेयक, GEM वेब पोर्टल से होगी खरीदी

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग (IT) से जुड़ी सभी सामग्री को गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (GEM) वेब पोर्टल के माध्यम से खरीदा जाएगा। मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस वेब पोर्टल को केंद्र सरकार ने विकसित किया है। सरकार के इस फैसले से IT विभाग की राज्य स्तर पर खरीदी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति धारक मिल सकेंगे। इसके साथ ही विभिन्न वस्तुएं गुणवत्तापूर्ण व स्पर्धात्मक दर पर उपलब्ध हो सकेंगी। GEM प्रणाली स्वीकार करने से सरकार के खरीदी विभाग को कई फायदे होंगे। खरीदी की संपूर्ण प्रक्रिया अधिक सुलभ और सरल होगी। IT के सहयोग से मानवी हस्तक्षेप के बिना खरीदी प्रक्रिया जल्द पुरी हो सकेगी।

लिफ्ट, एस्केलेटर से जुड़े विधेयक को शीत सत्र में पेश करने की मंजूरी 

राज्य मंत्रिमंडल ने नए महाराष्ट्र उद्वहन (लिफ्ट), स्वचलित सीढ़ियां (एस्केलेटर) और चलित पथ (मुविंग वॉक) अधिनियम-2017 संबंधित विधेयक के मसौदे को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश करने को मंजूरी दी है। मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र उद्वहन (लिफ्ट) अधिनियम-1939 को रद्द करके नया अधिनियम बनाने का फैसला लिया है। सरकार के 1939 के अधिनियम में लिफ्ट बनाने और चलाने को अनुमति दी जा रही थी पर उद्वहन के क्षेत्र में नई तकनीक आई है। अत्याधुनिक लिफ्ट, एस्केलेटर और चलित पथ का सार्वजनिक स्थलों पर बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। इसके मद्देनजर सरकार ने अधिनियम में समय के अनुसार संशोधन व निरीक्षण के प्रावधान के लिए 9 दिसंबर 2016 की आदेश जारी कर मुंबई स्थित मुख्य विद्युत निरीक्षक और विभिन्न लिफ्ट कंपनियों के प्रतिनिधियों की समिति गठित की थी। इसी समिति ने नया मसौदा तैयार किया है।

बार-बार अधिनियम में बदलाव करने की जरूरत नहीं

नई तकनीक के अनुसार भारतीय मानक संस्थान द्वारा निश्चित मानकों से जुड़ा यह मसौदा तैयार किया गया है। इसलिए बार-बार अधिनियम में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। नई तकनीक से विकसित लिफ्ट, एस्केलेटर व चलित पथ बनाने, व उसके देखभाल और सुरक्षा, उपाय योजना, निरीक्षण शूल्क, बीमा संरक्षण, सरकार को मिलने वाले राजस्व समेत अन्य मुद्दों को ध्यान में रखते हुए मसौदे को बनाया गया है। 

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