चंद्रपुर में शराब बंदी फेल, 2800 करोड़ का राजस्व डूबा

चंद्रपुर में शराब बंदी फेल, 2800 करोड़ का राजस्व डूबा

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-04 10:04 GMT
चंद्रपुर में शराब बंदी फेल, 2800 करोड़ का राजस्व डूबा

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। कर्ज में डूबी महाराष्ट्र सरकार अब इससे उबरने के लिए शराब से राजस्व जुटाने की कोशिश करने लगी है। राज्य सरकार पर 5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इससे उभरने के लिए सरकार ने विदेशी शराब पर 18 से 20  प्रतिशत उत्पादन शुल्क बढ़ाकर राज्य में 1500 नए परमिट रूम खोलने की घोषणा 1 जनवरी को की है। जबकि बीते 4 वर्षों में चंद्रपुर से मिलने वाला 2800 करोड़ का राजस्व डूब चुका है। यदि शflराब से राजस्व पाने की सरकार को इतनी ही चिंता है तो चंद्रपुर में फ्लाप हो चुकी शराबबंदी को हटाए एवं ठप हो चुके पूरक उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए तत्काल शराबबंदी रद्द करें। अन्यत: वर्धा की तर्ज पर नागरिकों को परमिट उपलब्ध कराएं। चंद्रपुरवासियों से हो रहे भेदभाव के खिलाफ शीघ्र फैसला लें। अन्यथा लीकर एसोसिएशन इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन करने की चेतावनी  NCP नेता दीपक जयस्वाल ने प्रेस कांफ्रेंस में दी। इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष परमिंदर सिंह भाटिया, रामदास ताजने, संजय रणदीवे, विलास नेरकर, व्यंकटेश बालसनिवार आदि उपस्थित थे।

44 अधिकारी देने की घोषणा फेल
जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शराबबंदी के दौरान उसके अमल के लिए जिले में 44 अधिकारियों को नियुक्त करने की घोषणा की थी।  लेकिन बीते साढ़े 4 वर्ष में इस घोषणा पर उन्होंने अमल नहीं किया। 

मिलावटी शराब व नशीले पदार्थों का चलन बढ़ा
शराबबंदी के फैसले का शुरुआती दिनों में सभी ने स्वागत किया, लेकिन आज भी जिले में उतनी ही शराब बिक रही है, जितनी पहले बिका करती थी। अब आलम यह है कि मिलावटी शराब, गांजा, अफीम व अन्य नशीले पदार्थों का यहां चलन बढ़ गया है। जिले में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की सीमाओं के अलावा हरियाणा से यहां शराब पहुंच रही है। इससे महाराष्ट्र के राजस्व को क्षति पहुंची है। राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को खुद आगे आकर कहना पड़ा कि चंद्रपुर की शराबबंदी हटाने की आवश्यकता है।

सरकार कर रही भेदभाव
वर्धा जिले में 1975  में शराबबंदी की गई थी, परंतु वहां लोगों को आज भी परमिट बांटे जाते हैं। गड़चिरोली में अनुसूचित जनजाति के लिए 25  एवं अन्य के लिए 10 किलो महुआ से शराब निर्माण करने की अनुमति है, लेकिन चंद्रपुरवासियों के साथ राज्य सरकार भेदभाव कर रही है। यहां परमिट की नीति लागू नहीं है। पूर्व में बांटे गए 1641 स्थायी परमिट पर भी सरकार का रुख साफ नजर नहीं आता। चोरी-छुपे शराब पीने की स्थिति में जिले में किसी दिन मालवन जैसा बड़ा हादसा घटित हो सकता है।
 

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