डकैती के मामले में सबसे आगे है महाराष्ट्र, एनसीआरबी रिपोर्ट में हुआ खुलासा 

डकैती के मामले में सबसे आगे है महाराष्ट्र, एनसीआरबी रिपोर्ट में हुआ खुलासा 

Tejinder Singh
Update: 2019-11-21 14:23 GMT
डकैती के मामले में सबसे आगे है महाराष्ट्र, एनसीआरबी रिपोर्ट में हुआ खुलासा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हथियारों की नोंक पर लूटपाट के अपराध सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। हालिया जारी साल 2017 के अपराध के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में आईपीसी की धारा 392 से 394 तक सबसे ज्यादा 6451 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली का नंबर आता है। रात में चोरियां भी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होतीं हैं साल 2017 में राज्य में रात में चोरी की 12433 वारदातें दर्ज हुईं हैं। दूसरा नंबर मध्य प्रदेश का है जहां आईपीसी की धारा 454 से 460 और धारा 380 के तहत 9843 वारदातें हुईं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में देशभर में लूटपाट की 30742 वारदातें दर्ज की गईं और 32618 लोग इन वारदातों के शिकार हुए। महाराष्ट्र में दर्ज किए गए लूटपाट के मामलों में 6802 लोगों को अपराधियों ने निशाना बनाया। देश भर में कुल 47 वारदातें हुईं जिनमें डकैती के दौरान अपराधियों ने लोगों की जान ले ली। इसमें से 15 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है जबकि 9 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे और 5 मामलों के साथ बिहार तीसरे नंबर पर है। देशभर में होने वाली कुल आपराधिक वारदातों की संख्या के मामले में भी महाराष्ट्र की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में देशभर में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कुल 30 लाख 62 हजार 579 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इसमें से 10.1 फीसदी यानी 3 लाख 10 हजार 84 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर रहा। लेकिन महाराष्ट्र भी ज्यादा पीछे नहीं है और देश की 9.4 फीसदी आपराधिक वारदातें महाराष्ट्र में हुईं जिनकी संख्या 2 लाख 88 हजार 879 है। तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां 2 लाख 69 हजार 512 आपराधिक मामले दर्ज किए गए यह कुल अपराधों का 8.8 फीसदी था। 

साल 2017 में यहां हुए सबसे ज्यादा अपराध

राज्य                कुल अपराध          रात में चोरी       लूटपाट 
महाराष्ट्र             288879              12433            6451
उत्तर प्रदेश         310084               8566             4089
मध्यप्रदेश           269512               9843             1581
 

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