मालेगांव विस्फोट : बयान की मूल प्रति गायब, HC ने NIA से पूछा - फोटोकॉपी की प्रमाणिकता को कैसे परखा?

मालेगांव विस्फोट : बयान की मूल प्रति गायब, HC ने NIA से पूछा - फोटोकॉपी की प्रमाणिकता को कैसे परखा?

Tejinder Singh
Update: 2019-01-21 14:21 GMT
मालेगांव विस्फोट : बयान की मूल प्रति गायब, HC ने NIA से पूछा - फोटोकॉपी की प्रमाणिकता को कैसे परखा?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जानना चाहा है कि उसने और निचली अदालत ने मालेगांव बम धमाके से जुड़े मौजूदा दस्तावेजी सबूतों की छाया प्रति (फोटोकॉपी) की प्रमाणिकता को कैसे परखा है। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस अजय गड़करी की बेंच ने एनआईए को दो दिन के भीतर इस संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया है। 

गवाहों के बयान की मूल प्रति हो गई है गायब 
हाईकोर्ट मेें मामले में आरोपी समीर कुलकर्णी व अन्य आरोपियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कुलकर्णी ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत अदालत ने एनआईए को प्रकरण से जुड़े गवाहों के गायब बयान व आरोपियों के इकबालिया बयान की फोटोकॉपी को रिकार्ड में लाने की अनुमति दी है। इसके साथ ही फोटोकॉपी को सबूत के तौर पर भी पेश करने की इजाजत दी है।

साल 2017 में एनआईए ने निचली अदालत में दावा किया था कि उसके पास बहुत से गवाहों के बयान की मूल प्रति नहीं है, इसलिए उसकी पुरानी फोटोकॉपी का इस्तेमाल सबूत के तौर पर करने की इजाजत दी जाए। निचली अदालत ने एनआईए को सबूत के तौर पर फोटोकॉपी के इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी। 

दस्तावेजों के फोटोकॉपी की प्रमाणिकता को कैसे परखा?
वहीं कुलकर्णी ने याचिका में दावा किया है कि निचली अदालत को यह अनुमति नहीं देनी चाहिए थी। क्योंकि एनआईए के पास ऐस कोई सबूत नहीं है जिससे यह परखा जा सके की फोटोकॉपी प्रमाणित प्रति है। याचिका पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि एनआईए को आखिर यह कैसे पता चलेगा कि जो फोटोकॉपी उसके पास मौजूद है, वह मूल प्रति की ही फोटोकॉपी है? यह सवाल करते हुए बेंच ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

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