मंडल आयोग से ज्यादा विश्वसनीय है पिछडा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, हाईकोर्ट में राज्य सरकार का दावा

मंडल आयोग से ज्यादा विश्वसनीय है पिछडा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, हाईकोर्ट में राज्य सरकार का दावा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-19 18:56 GMT
मंडल आयोग से ज्यादा विश्वसनीय है पिछडा वर्ग आयोग की रिपोर्ट, हाईकोर्ट में राज्य सरकार का दावा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठा समुदाय को लेकर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट पहले के मंडल आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग, खत्री आयोग व बापट आयोग की अपेक्षा अधिक सटीक व विश्वसनीय है। क्योंकि पुराने आयोग ने 1931 में की गई जनगणना के आधार पर मराठा समुदाय को आरक्षण देने से इंकार किया था। 1931 की जनगणना में मराठा को अगड़ी जाति बताया गया था। मंगलवार को मराठा आरक्षण के समर्थन में वरिष्ठ अधिवक्ता विनीत नाइक ने बांबे हाईकोर्ट में यह दावा किया।

जस्टिस आरवी मोरे व जस्टिस भारती डागरे की बेंच के सामने नाइक ने दावा किया कि मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आरक्षण के संदर्भ में अंग्रेजों द्वारा 1931 में किए गई जाति आधारित जनगणना का उल्लेख किया है। अंग्रेजों ने यह जनगणना कर की वसूली के उद्देश्य से की थी। इसमें मराठा समुदाय को अगली जाति की श्रेणी में रखा गया था। इस लिहाज से मराठा समुदाय को लेकर राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट अधिक सही व प्रमाणिक है। मंडल आयोग ने बगैर किसी समायिक अध्ययन के मराठा समुदाय को अगड़ी जाति में अधिसूचित कर आरक्षण से वंचित किया था। बेंच के सामने मराठा समुदाय को नौकरी व शिक्षा में दिए गए 16 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। यह सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

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