मराठा आरक्षण :  हाईकोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ताओं को रिपोर्ट से जुड़े परिशिष्ट देखने से नहीं रोक सकते

मराठा आरक्षण :  हाईकोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ताओं को रिपोर्ट से जुड़े परिशिष्ट देखने से नहीं रोक सकते

Tejinder Singh
Update: 2019-01-31 16:44 GMT
मराठा आरक्षण :  हाईकोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ताओं को रिपोर्ट से जुड़े परिशिष्ट देखने से नहीं रोक सकते

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि वह याचिकाकर्ताओं को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के संलग्न परिशिष्टों (एनेक्सचर) को देखने से नहीं रोक सकते। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता राज्य सचिवालय में जाकर आयोग की रिपोर्ट के साथ संलग्न किए गए परिशिष्टों का मुआयना कर सकते है। आयोग ने मराठा आरक्षण को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपी है। इससे पहले एक याचिकाकर्ता के वकील गुणरत्ने सदाव्रते ने न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने कहा कि उन्हें आयोग की रिपोर्ट तो दे दी गई है लेकिन उससे जुड़े एनेक्सचर नहीं दिए जा रहे है। जबकि एनेक्सचर रिपोर्ट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसमें काफी अह्म जानकारियां व मराठा समुदाय को लेकर जुटाए गए आकड़े भी है।

राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वीए थोरात ने कहा कि रिपोर्ट के साथ जोड़े गए ऐनेक्सचर काफी ज्यादा है। जो की 35 खंडों में विभाजित है। मंत्रालय में ऐनेक्सचर को स्कैन नहीं किया गया। लेकिन याचिकाकर्ता सचिवालय में जाकर एनेक्सचर को देख सकते है और जिस पेज की चाहे उसकी झेराक्स प्रति ले सकते है। वैसे एनेक्चर में सर्वेक्षण के दौरान मिले आकड़ों के अलावा कुछ नहीं है।  याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे ऐसा नहीं करेगे। उन्हें सारे एनेक्सचर की स्कैन कॉपी प्रदान की जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं को रिपोटे से जुड़े एनेक्चर को देखने से नहीं रोक सकते है। इसलिए सरकार एनेक्सचर की प्रति देने के लिए कुछ कदम उठाए। और उसकी प्रति उन्हें प्रदान करे। सरकार एनेक्सचर का स्कैन करा सकती है। इस पर सरकारी वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में सरकार से निर्देश लेना पड़ेगा। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 4 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। 

सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार का मामला, फेसबुक से मांगा जवाब


दूसरे मामले में बांबे हाईकर्ट ने फेसबुक व सोशल मीडिया में चुनाव के 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील व अधिकारी के अनुपस्थित रहने के चलते कड़ी नाराजगी जाहिर की। अदालत ने फेसबुक को सोमवार तक अपना जवाब देने को कहा। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एन जामदार की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट ने चुनाव अधिकारी को अदालत में उपस्थित रहने के लिए निर्देश जारी किया था फिर वह कोर्ट में क्यों उपस्थित नहीं है। यह बेहद महत्वपूर्ण मामला है और चुनाव आयोग के वकील भी हाजिर नहीं हैं। इसे उचित नहीं माना जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि क्या हम चुनाव आयोग के अधिकारी को यहां उपस्थित रहने के लि वारंट जारी करे? खंडपीठ ने कहा कि यदि सोमवार को आयोग के अधिकारी हाजिर नहीं हुए तो हम वारंट जारी करने पर विचार करेंगे। हम चाहते है कि आयोग चुनाव से पहले विदेशों में कैसे सोशल मीडिया में  प्रचार प्रसार पर कैसे रोक लगाई जाती है इसका अध्ययन करे और उचित कदम उठाए। फेसबुक पर व्यक्तिगत टिप्पणी ठीक है, लेकिन चुनाव के 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार नियंत्रित होना चाहिए। क्योंकि निष्पक्ष व स्वच्छ चुनाव कराना चुनाव आयोग का दायित्व है। 

उचित कदम उठाए चुनाव आयोग

आयोग सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार को रोकने की दिशा में जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उचित कदम उठाए। क्योंकि चुनाव आयोग के पास पर्याप्त अधिकार है, वह खुद को असहाय न माने। इस दौरान फेसबुक की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 6 फरवरी को रखी जाए। लेकिन खंडपीठ ने कहा कि हम सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे। क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण मामला है। पेशे से वकील सागर सूर्यवंशी ने मतदान के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार समाप्त होने पर सोशल मीडिया पर चलने वाले उम्मीदवारों के प्रचार पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

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