मतदान केंद्रों में उपलब्ध कराई जाए मेडिकल व्यवस्था और शौच की सुविधा, गैर अनुदानिक स्कूल शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई नहीं

मतदान केंद्रों में उपलब्ध कराई जाए मेडिकल व्यवस्था और शौच की सुविधा, गैर अनुदानिक स्कूल शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई नहीं

Tejinder Singh
Update: 2019-03-22 16:13 GMT
मतदान केंद्रों में उपलब्ध कराई जाए मेडिकल व्यवस्था और शौच की सुविधा, गैर अनुदानिक स्कूल शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य भर के मतदान केंद्रों में प्रभावी मेडिकल व्यवस्था उपलब्ध कराने व स्वच्छ शौच की सुविधा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। यह याचिका वरिष्ठ नागरिक व पेशे से वकील दीपक चट्टोपध्याय ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि साफ सुथरे व निष्पक्ष तरीके से चुनाव करने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को चुनावी ड्यूटी में लगाया जाता है। अधिकारियों की उम्र 50 के करीब होने के चलते वे डायबटीज व अर्थराइटिस जैसी  कई तरह की बीमारियों से ग्रसित रहते है। फिर भी उन्हें चुनाव के दौरान लगातार 14 घंटे से अधिक की ड्यूटी करनी पड़ती है। इस दौरान मतदान केंद्रों में न तो प्रशिक्षित डॉक्टर उपलब्ध होते है और न ही 24 घंटे एंबुलेंसष जो किसी अधिकारी की अचानक तबीयत खराब होने की स्थिति में इलाज के लिए तत्काल अस्पताल पहुंचा सके। मतदान केंद्रों में सरकारी अधिकारियों के अलावा बूथ कार्यकर्ता व मतदान के लिए नागरिक भी आते है। इसलिए वहां पर साफ सुथरी शौच की व्यवस्था करना भी जरुरी है। ताकि लोग जरुरत पड़ने पर शौच की व्यवस्था का इस्तेमाल कर सके। मतदान केंद्रों में मेडिकल व्यवस्था न उलब्ध कराना व शौच की सुविधा न मुहैया करना मौलिक अधिकारों का हनन है। इसलिए राज्य सरकार व चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह मतदान केंद्रों में प्रभावी मेडिकल व्यवस्था व शौच की साफ सुथरी सुविधा उपलब्ध कराए। 

चुनावी ड्यूटी पर हाजिर न होनेवाले गैर अनुदानिक स्कूलों के शिक्षकों पर न हो कड़ी कार्रवाई

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह चुनावी ड्यूटी पर हाजिर न होनेवाले गैर अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे। हाईकोर्ट ने यह निर्देश अन एडेड स्कूल फोरम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। चुनाव आयोग के निर्देश पर जिलाधिकारी, तहसलीलदार व अन्य अधिकारियों की ओर से गैर अनुदानित स्कूलों को नोटिस जारी की गई थी। नोटिस में स्कूलों को अपने यहां कक्षा पहली से चौथी के बीच पढानेवाले शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई थी। इसके साथ ही जानकारी न देने पर कार्रवाई की भी बात कही गई थी। चुनाव आयोग की ओर से मिले नोटिस के खिलाफ अनएडेड स्कूल फोरम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस शंकलेचा की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने याचिका कर्ता के संगठन से जुड़े स्कूलों की सूची पेश की। इसके साथ ही कहा कि चुनाव आयोग निजी स्कूलों को चुनावी ड्यूटी में नहीं लगा सकता है। चुनाव आयोग उन्हीं स्कूलों के शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी में लगा सकता है जो सरकार द्वारा नियंत्रित है अथवा सरकार द्वारा वित्तीय सहयोग पाते है। इसलिए चुनाव आयोग के निर्देश पर जारी किए गए नोटिस नियमों के विपरीत है और इसे निरस्त किया जाए। देसाई की इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हम 1 अप्रैल को इस मामले की विस्तार से सुनवाई करेंगे। लेकिन तब तक चुनावी ड्यूटी पर हाजिर न होनेवाले गैर अनुदानिक स्कूलों के शिक्षकों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए। 

एमपीएससी को हाईकोर्ट की नोटिस

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस विजय कुमार मुंगुरवडे व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि एमपीएससी मोबाइल नंबर के सीरिज के हिसाब से सीट नंबर जारी करती है। जिससे एक तरह से सामूहिक नकल की इजाजत दी जा रही है। इस तरह से सीट नंबर जारी किए जाने से काफी भ्रम व गफलत की स्थिति पैदा हो रही है। उदाहरण के तौर पर याचिका में तीन लोगों के सीट नंबर भी जोड़े गए है। जिस पर विचार करने के बाद हाईकोर्ट ने एमपीएससी को नोटिस जारी किया। याचिका में दावा किया गया है कि एमपीएससी की ओर से मोबाइल सीरिज के हिसाब से सीट नंबर जारी किए जाने के चलते योग्य लोग नियुक्ति से वंचित हो रहे है। याचिका में मांग की गई है एमपीएससी को सीट नंबर जारी करने की खामी में सुधार करने का निर्देश दिया जाए। न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ के सामने आगामी 28 मार्च को इस याचिका पर सुनवाई होगी। 
 

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