नहीं बढ़ेगा मेट्रो ट्रेन का किराया, हाईकोर्ट ने रद्द किया फैसला

 नहीं बढ़ेगा मेट्रो ट्रेन का किराया, हाईकोर्ट ने रद्द किया फैसला

Tejinder Singh
Update: 2017-12-04 16:03 GMT
 नहीं बढ़ेगा मेट्रो ट्रेन का किराया, हाईकोर्ट ने रद्द किया फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महानगर में मेट्रो रेल सेवा चलाने वाली निजी कंपनी मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) को वर्सोवा-अंधेरी घाटकोपर के बीच चलने वाली मेट्रो ट्रेन के किराया वृद्धि के फैसले को रद्द कर दिया है।  मुख्य जस्टिस मंजूला चिल्लूर और जस्टिस एमएस सोनक की बेंच ने साल 2015 में किराया निर्धारण समिति की ओर से लिए गए निर्णय को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है। कमेटी ने 10 रुपए से लेकर अधिकतम 110 रुपए तक की बढोतरी की सिफारिश की थी। बेंच ने कहा कि किराया निर्धारण से जुड़ी कमेटी जल्द से जल्द तीन महीने के भीतर किराए के विषय का निपटारा करे। बेंच ने नए सिरे से किराया निर्धारण कमेटी के गठन का निर्देश दिया है।

किराया निर्धारण के लिए नई कमेटी बनाने का निर्देश

मेट्रो के किराए को लेकर किराया निर्धारण कमेटी के निर्णय के खिलाफ मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम सहित अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि MMOPL ने मनमाने तरीके से किराए में दस रुपए से 110 रुपए तक की  वृद्धि कि सिफारिश की है। फिलहाल मेट्रो ट्रेन का न्यूनतम किराया 10 रुपए और अधिकतम 40 रुपए है। निरुपम ने अपने आवेदन में दावा किया था कि MMOPL एक निजी संस्था है। इस लिए वह किराया तय नहीं कर सकती। अनुबंध के मुताबिक सरकार ही मेट्रो के किराए पर निर्णय ले। जबकि MMOPL ने कहा कि मौजूदा किराए के चलते उसे करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने MMOPL को किराया बढाने से रोक दिया। जबकि किराया निर्धारण कमेटी को तीन महीन के भीतर इस विषय पर निर्णय लेने को कहा है। 

रात के समय मेट्रों के काम के मुद्दे को तय करेगी कमेटी

इस बीच बेंच ने रात के समय मेट्रो रेल परियोजना-3 के काम को शुरु रखने के मुद्दे पर कहा कि कानून के दायरे में रहकर हमे संतुलित विकास पर जोर देना चाहिए। इसके लिए दोनों पक्षों को थोड़ा-थोड़ा नरम रुख अपनाने की जरूरत है। मेट्रो परियोजना -3 का काम रात के समय हो की नहीं इस मामले में हाईकोर्ट की दो सदस्यीय कमेटी को निर्णय लेने को कहा है। पिछले सप्ताह सरकार ने मेट्रो रेल कार्पेरेशन को तीन दिन के लिए रात दस बजे से 12 बजे के बीच मेट्रो के काम से निकलनेवाले मलबे को हटाने की अनुमति दी थी। लेकिन सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इससे रात के समय काफी शोर होता है, यह लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है। अब रात के समय काम होगा की नहीं यह जस्टिस शांतुन केमकर व जस्टिस भूषण गवई की कमेटी तय करेगी।

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