पटोले का पेट्रोल वार, बोले- मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला एक रुपए का टैक्स 18 तक पहुंचाया

पटोले का पेट्रोल वार, बोले- मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला एक रुपए का टैक्स 18 तक पहुंचाया

Tejinder Singh
Update: 2021-02-25 12:30 GMT
पटोले का पेट्रोल वार, बोले- मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला एक रुपए का टैक्स 18 तक पहुंचाया

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार पर जनता की जेब काटने का आरोप लगाते हुए कहा कि सड़क निर्माण के नाम पर पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स को 1 रुपए से बढ़ा कर 18 रुपए करने का कार्य मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि राज्य की फडणनीस सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया था। गुरुवार को मुंबई कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में पटोले ने कहा कि तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त सड़क निर्माण व उनकी मरम्मत के नाम पर पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर एक रुपए का टैक्स लगाया गया था। मनमोहन सिंह सरकार के वक्त भी एक रुपए ही टैक्स वसूला जाता रहा लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस एक रुपए के टैक्स को 18 रुपए तक पहुंचा दिया। 2018 में इस कर का नाम बदल कर सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्टेक्चर फंड कर एक रुपए के टैक्स को 18 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया। इसके अलावा किसानों के विकास के नाम पर भी पेट्रोल पर 2.50 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर प्रति लीटर चार रुपए का टैक्स वसूला जाता है। इस तरह केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर प्रति लीटर 22 रुपए टैक्स वसूल कर जनता को लूटने का काम कर रही है। 

बंद हो टोल टैक्स वसूली

कांग्रेस नेता ने कहा कि एक तरफ सड़कों के नाम पर पेट्रोल-डीजल पर भारी भरकम टैक्स वसूला जा रहा है, तो दूसरी तरफ इन सड़कों पर चलने के लिए लोगों को टोल टैक्स भी देना पड़ रहा है। यह दोहरी लूट बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सडकों के नाम पर वसूली जा रही चुंगी बंद करे या फिर टोल टैक्स वसूली बंद की जाए। 

इथेनाल से किसानों को कितना हुआ फायदा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि इथेनॉल से किसानों को फायदा हो रहा है। वह बताए कि अब तक कितने किसानों को इसका लाभ मिला। उन्होंने कहा कि  पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिलाना अनिवार्य है लेकिन रिलायंस, एस्सार व शेल जैसी निजी तेल कंपनियों को इससे छूट दी गई है। जबकि सरकारी तेल कंपनियों को यह मिश्रण करना पड़ता है। 
 
 

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