नाना पटोले की गुगली से सत्ता पक्ष भौचक, अचानक रखा ओबीसी जनगणना का प्रस्ताव

नाना पटोले की गुगली से सत्ता पक्ष भौचक, अचानक रखा ओबीसी जनगणना का प्रस्ताव

Tejinder Singh
Update: 2020-01-08 16:25 GMT
नाना पटोले की गुगली से सत्ता पक्ष भौचक, अचानक रखा ओबीसी जनगणना का प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अगले साल से होने वाली जनगणना के दौरान ओबीसी समाज की जातिगत गणना की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजने का प्रस्ताव बुधवार को विधानसभा में पारित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने खुद इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया जिसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। हालांकि विस अध्यक्ष के अचानक इस तरह का प्रस्ताव सदन में रखने से सत्ताधारी दल के नेता भौचक्के रह गए। 

दरअसल लोकसभा-विधानसभाओं में एससी-एसटी आरक्षण की अवधि अगले 10 साल तक बढ़ाने के लिए विधेयक को मंजूरी देने बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों का एक दिवसीय सत्र आयोजित किया गया था। सदन की कामकाज पत्रिका में ओबीसी जनगणना का विषय शामिल नहीं था। दो दिन पहले हुई कामकाज समिति की बैठक में भी इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई थी।

इसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष पटोले द्वारा यह प्रस्ताव सदन में रखने से सत्तापक्ष के नेता भौचक्के रह गए। पटोले ने ओबीसी समाज के विभिन्न संगठनों की मांगों का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी समाज को उनकी संख्या के हिसाब से आरक्षण नहीं मिल रहा है। इस लिए उनकी वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए जातिगत गणना जरुरी है। इस लिए 2021 में होने वाली जनगणना में ओबीसी समाज की जातिगत गणना होनी चाहिए। इस पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि इस प्रस्ताव पर चर्चा कर इसे विधानमंडल के बजट सत्र में पेश किया जाए।

संसदीय कार्यमंत्री अनिल परब ने भी कहा कि विधानमंडल कामकाज समिति की बैठक में तय हुए चीजों के हिसाब से ही सदन की कार्यवाही चलाई जाए। लेकिन राकांपा नेता व खाद्य-आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने प्रस्ताव पेश किए जाने का आग्रह किया। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि ओबीसी जनसंख्या कितनी है, इसका पता चलना जरुरी है। उन्होंने प्रस्ताव को लेकर अपना समर्थन जताया। इसके बाद प्रस्ताव सर्व सहमति से पारित हो गया।         

 

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