नवोदय बैंक घोटाला : पूर्व विधायक अशोक धवड़ पुलिस की रिमांड पर

नवोदय बैंक घोटाला : पूर्व विधायक अशोक धवड़ पुलिस की रिमांड पर

Anita Peddulwar
Update: 2019-11-07 08:06 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। करोड़ों रुपए के घोटाले में पूर्व विधायक व नवोदय बैंक के अध्यक्ष को अपराध शाखा के आर्थिक विभाग ने गिरफ्तार किया है। अदालत में पेश कर उन्हें सात दिन की पुलिस रिमांड में लिया है। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच लंबी बहस चली। आरोपी पूर्व विधायक व नवोदय को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष अशोक धवड़ को अपराध शाखा के आर्थिक विभाग ने गिरफ्तार किया। दो दिन पहले उन्होंने एमपीआईडी की विशेष अदालत में मा. न्यायाधीश पाटील के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद प्रोडक्शन वारंट के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।

उल्लेखनीय है कि धवड़ के अध्यक्ष रहते हुए उनके बैंक में 38 करोड़ 75 लाख 20 हजार 641 रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। इसके लिए संचालक मंडल और बैंक अधिकारियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। जिसके चलते इसके पहले बैंक के तत्कालीन प्रबंधक सहित कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है, लेकिन मुख्य आरोपी के तौर पर अध्यक्ष के नाते धवड़ का नाम सामने आया था। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया है। पेशी के दौरान पुलिस ने धवड़ को 14 के रिमांड पर देने की मांग अदालत से की थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकील चैतन्य बर्वे ने इसका विरोध किया। अदालत को बताया कि जांच में धवड़ द्वारा सहयोग िकया जा रहा है। थाने में हाजिरी भी लगाई गई है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सात दिन यानी 13 नवंबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया। 

बैंक के कर्जदारों में फर्जीवाड़ा
शहर के नामी उद्यमियों को बैंक ने करोड़ों रुपए का कर्ज बांटा है। कर्ज वापस नहीं मिलने से बैंक डूब गया और यह घोटाला उजागर हुआ। कर्जा देते समय बैंक ने नियमों को धत्ता बताया है। गिरवी रखी हुई कई संपत्तियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए। उनकी कीमत भी बढ़ा चढ़ाकर दर्शाई गई हैं। यह सब संचालक मंडल और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करने का आरोप है। ऐसे कई मामलों में किए जाने का पाया गया।

बैंक के 15 से ज्यादा पॉवरफुल डिफाॅल्टर
आरोपी ग्लैडस्टीन समूह के सचिन मित्तल और बालकिशन गांधी, हिंगल समूह, बिल्डर झाम समूह, जोशी समूह समेत ऐसे 15 से भी ज्यादा पॅावरफुल डिफाल्टरों को बैंक के संचालक मंडल ने करोड़ों रुपए का कर्ज दिया है, जबकि उतना कर्ज देने की बैंक को अनुमति ही नहीं है। इसके बावजूद आपसी संबंधों के चलते आरोपियों को लाभ पहुंचा गया है। 
 

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