एनसीपी प्रवक्ता मलिक की केंद्र से मांग - वैक्सीनेशन के लिए बने एक देश, एक नीति

एनसीपी प्रवक्ता मलिक की केंद्र से मांग - वैक्सीनेशन के लिए बने एक देश, एक नीति

Tejinder Singh
Update: 2021-05-26 11:43 GMT
एनसीपी प्रवक्ता मलिक की केंद्र से मांग - वैक्सीनेशन के लिए बने एक देश, एक नीति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार के घटक दल राकांपा ने केंद्र सरकार से कोरोना के टीके की खरीदी के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की है। बुधवार को राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार को टीकाकरण के लिए एक देश, एक नीति बनानी चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में मलिक ने कहा कि भारत की दो कंपनियों को छोड़कर विश्व की अधिकांश कंपनियों ने राज्यों को सीधे टीका देने के लिए इंकार कर दिया है। इसलिए केंद्र सरकार को अब टीकाकरण के लिए एक नीति बनानी चाहिए। मलिक ने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने देश के लिए एक नीति तैयार नहीं की तो विदेश की कंपनियां अधिक पैसे देने वाले राज्यों को ही टीके की आपूर्ति करेंगी। जो राज्य अधिक पैसे देने के लिए सक्षम नहीं है वह टीके की आपूर्ति से वंचित रह जाएंगे। मलिक ने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपए प्रावधान किया था। यह राशि खर्च करके देशवासियों को मुफ्त में टीका दिया जा सकता है लेकिन केंद्र सरकार ने 18 से 44 साल आयु वाले नागरिकों के टीकाकरण की जिम्मेदारी राज्यों पर ढकेल दी है पर राज्यों को टीका उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। अगर केंद्र सरकार को टीकों के लिए राज्यों से पैसा लेना है तो उसे स्पष्ट रूप से कहना चाहिए। राज्य केंद्र सरकार को टीके के लिए राशि उपलब्ध करा देंगे।  

मराठवाड़ा में भेजे गए अनुपयोगी वेंटिलेटर की हो जांच- पाटील

राकांपा प्रदेश अध्यक्ष तथा राज्य के जलसंसाधन मंत्री जयंत पाटील ने पीएम केयर्स फंड के माध्यम से मराठवाड़ा में भेजे गए अनुपयोगी वेंटिलेटर को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पाटील ने अनुपयोगी वेंटिलेटर की आपूर्ति की जांच की मांग की है। पाटील ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के जरिए मराठवाड़ा में भेजे गए 150 वेंटिलेटर में से 113 वेंटिलेटर अनुपयोगी पाए गए हैं। बाम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार के जवाब भी मांगा है। इससे  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के लापरवाही भरे कामकाज को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसलिए अनुपयोगी वेंटिलेटर के वितरण की जांच होनी चाहिए। यह भी पता लगाना चाहिए कि इससे किसको फायदा पहुंचा है। 

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