मुंबई में ध्वनिप्रदूषण का स्तर घटा लेकिन पाबंदी के बावजूद नहीं थमा पटाखों का शोर

मुंबई में ध्वनिप्रदूषण का स्तर घटा लेकिन पाबंदी के बावजूद नहीं थमा पटाखों का शोर

Tejinder Singh
Update: 2020-11-15 13:50 GMT
मुंबई में ध्वनिप्रदूषण का स्तर घटा लेकिन पाबंदी के बावजूद नहीं थमा पटाखों का शोर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पाबंदी के बावजूद मुंबई में पटाखों का शोर नहीं थमा हालांकि बीते सालों के मुकाबले इस साल ध्वनि प्रदूषण का स्तर काफी कम रहा। इस साल सबसे ज्यादा शोर साइलेंट जोन घोषित किए गए शिवाजी पार्क के पास दर्ज किया गया। ध्वनि प्रदूषण पर नजर रखने वाली संस्था आवाज द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक शिवाजी पार्क के पास रात 10 बजे की समयसीमा से थोड़े ही पहले 105.5 डेसिबल आवाज रिकॉर्ड की गई। फाउंडेशन के मुताबिक हाईकोर्ट द्वारा साल 2010 में साइलेंस जोन घोषित किए जाने के बाद पहली बार शिवाजी पार्क के पास दीपावली पर पटाखे फोड़े गए। आवाज की संयोजक सुमैरा अब्दुल अली ने बताया कि पिछले कुछ सालों में दीपावली के मौके पर ध्वनि प्रदूषण के स्तर में लगातार थोड़ी-थोड़ी कमी आ रही है। 2017 में 117.8 डेसिबल, 2018 में 114.1 डेसिबल, 2019 में 112.3 डेसिबल ध्वनिप्रदूषण दर्ज किया गया था। दीपावली की रात महानगर में घूम-घूमकर ध्वनिप्रदूषण का स्तर माप रहीं सुमैरा ने कहा कि शिवाजी पार्क इलाके में इस साल काफी भीड़भीड़ थी और वहां  बड़ी संख्या में लोगों ने  मास्क भी नहीं पहना था। उन्होंने बताया कि इस साल वरली, वर्सोवा, जुहू, बोरिवली, दहिसर, ठाणे इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों ने फोन कर शिकायत की। ज्यादातर इलाकों में पाबंदी के बावजूद पटाखे फोड़े गए और 10 बजे की समयसीमा का भी पालन नहीं किया गया। बता दें कि कोरोना संक्रमित मरीजों की परेशानी के मद्देनजर मुंबई में इस साल सिर्फ अनार और फुलझड़ी जलाने की इजाजत थी इसके बावजूद जगह-जगह रस्सी बम जलाए गए। हालांकि पिछले सालों के मुकाबले इस साल काफी कम पटाखे जलाए गए। सुमैरा ने कहा कि दीपावली, गणेशोत्सव और ईद जैसे त्यौहारों पर महानगर में ध्वनिप्रदूषण का स्तर लगातार घट रहा है। इसके लिए आमलोगों के साथ-साथ मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार का भी धन्यवाद उम्मीद है आने वाले सालों में हालात और बेहतर होंगे।

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