हाईकोर्ट ने कहा - ‘अलीबाग से आया है क्या’ में कुछ भी अपमानजनक नहीं, याचिका खारिज

 हाईकोर्ट ने कहा - ‘अलीबाग से आया है क्या’ में कुछ भी अपमानजनक नहीं, याचिका खारिज

Tejinder Singh
Update: 2019-07-19 14:04 GMT
 हाईकोर्ट ने कहा - ‘अलीबाग से आया है क्या’ में कुछ भी अपमानजनक नहीं, याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने ‘अलीबाग से आया है क्या’ कथन के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस कथन में कुछ भी अपमानजनक और अनादर करने जैसा नहीं है। अलीबाग निवासी राजेश ठाकुर ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि ‘अलीबाग से आया है क्या कथन’ का इस्तेमाल महाराष्ट्र में किसी को मूर्ख बताने के लिए किया जाता है। यह पूरी तरह से अनुचित व उपहासजनक है। इसलिए सरकार के संबंधित विभाग को इस कथन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया जाए। 

मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने याचिका पर उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि हर समुदाय को लेकर चुटकुला बनाया गया है। संता-बंता चुटकुला, मदरासी व उत्तरभारतियों को लेकर भी चुटकुले हैं। लोगों को इसका आनंद लेने दो इसमें अनादर व अपमानित होने जैसा कुछ नहीं है। याचिका में ठाकुर ने कहा कि अलीबाग से आया है क्या कथन अनुचित है। यह ऐसा एहसास कराता है जैसे अलीबाग के लोग निरक्षर व अनपढ हैं। जबकि अलीबाग में काफी अच्छी व पर्यटकों को आकर्षित करनेवाली जगह है। वहां पर काफी अच्छे स्कूलहैं और यहां कि साक्षरता दर भी काफी अधिक है। इसके अलावा अलीबाग का इतिहास व संस्कृति काफी समृध्द है।  

अलीबाग अपने प्राकृतिक सौदर्य व रंगमंच के लिए काफी विख्यात है। ऐसे में अलीबाग से आया है क्या जैसे हास्यास्पद कथन का इस्तेमाल अलीबाग वालों के लिए नागवार गुजरता है। क्योंकि यह कथन ऐसा अभास करता है अलीबागवाले मूर्ख हैं। उन्हें सामान्य ज्ञान भी नहीं है। गौरतलब है कि अलीबाग मुंबई के समीप समुद्र के किनारे बसा एक छोटा सा शहर है।  

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