नागपुर, परभणी व नंदुरबार में वेटलैंड की सही जानकारी न देनेवाले सचिव को नोटिस, चांदा कोचर मामले पर भी सुनवाई

नागपुर, परभणी व नंदुरबार में वेटलैंड की सही जानकारी न देनेवाले सचिव को नोटिस, चांदा कोचर मामले पर भी सुनवाई

Tejinder Singh
Update: 2020-02-18 12:52 GMT
नागपुर, परभणी व नंदुरबार में वेटलैंड की सही जानकारी न देनेवाले सचिव को नोटिस, चांदा कोचर मामले पर भी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नागपुर,परभरणी व नंदुरबार में वेटलैंड के बारे में सही जानकारी देनेवाले अंवर सचिव( अंडर सेक्रेटरी) जॉय ठाकुर को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि अदालत को गलत जानकारी देने के लिए क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इससे पहले श्री ठाकुर ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कोर्ट से बिना शर्त मांफी मांगी। और कहा कि दोबारा हलफनामा दायर करने में ऐसी गलती ने हो इसके लिए वे जरुरी सतकर्कता बरतेगे। उन्होंने कहा कि उनका इरादा अदालत को गुमराह करना नहीं था। उन्हें नागपुर,परभणी व नंदुरबार के जिलाधिकारी के कार्यालय से जो रिपोर्ट मिली थी उसमें सत्यापित जमीन(वेरिफाइड साइट) का उल्लेख किया गया था। वेरिफाइट साइट को अब तक वेटलैंड की सूची में शामिल नहीं किया गया था। दरअसल उन्हें वेरिफाइट साइट का उल्लेख एक अलग कॉलम में करना चाहिए था। जिससे स्थिति स्पष्ट रहती। श्री ठाकुर की ओर से दी गई इस साफाई से अंसतुष्ट खंडपीठ ने अवर सचिव ठाकुर को नोटिस जारी किया।  खंडपीठ ने कहा कि पिछले दिनों उन्हें अवर सचिव के हलफनामे के चलते नागुपर,परभणी व नंदुरबार के जिलाधिकारी को कोर्ट में तलब करना पड़ा।क्योंकि एक बार कहा गया था कि इन तीनों जिलों में वेटलैंड नहीं है और फिर कहा गया कि वहां पर वेटलैंड है। खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर हलफनामे पर नारागजगी जाहिर की। और अगली सुनवाई के दौरान अवर सचिव को स्पष्ट करने को कहा कि क्यों न उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के लिए कार्रवाई की जाए। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई मार्च के पहले सप्ताह में रखी है। 

‘मराठी बाणा’ पर हांडे को अंतरिम राहत देने से इंकार

उधर बांबे हाईकोर्ट ने मराठी बाणा शब्द को लेकर जारी कानूनी विवाद के मामले में मराठी निर्देशक अशोक हांडे को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है। लिहाजा अब शेमारु कंपनी अपने चैनल के लिए इस शब्द का इस्तेमाल कर सकेगी। मंगलवार को न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद मराठी  निर्देशक हांडे को राहत देने इंकार कर दिया। याचिका में हांडे ने दावा किया है कि वे ‘मराठी बाणा’ नाम से एक संगीत का कार्यक्रम चलाते है। जिसका उनके पास ट्रेडमार्क है। अब शेमारु कंपनी अपने मराठी चैनल के लिए ‘मराठी बाणा’शब्द का इस्तेमाल कर रही है। यह नियमों के खिलाफ है। हांडे ने ट्रेडमार्क से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए शेमारु कंपनी से दो सौ करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी।  

ठेके पर कार्यरत थी चंद्रा कोचर, इस लिए नहीं दी जा सकती चुनौती 

वहीं आईसीआईसीआई  बैंक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दरायस खंबाटा ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि पूर्व मुख्यकार्यकारी अधिकारी चंद्रा कोचर की ओर से दायर की गई याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कोचर की नियुक्ति ठेके पर की गई थी। वे एक निजी संस्थान में कार्यरत थी। इसलिए उनके बर्खास्तगी के आदेश की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है। बैंक ने सेवा से जुड़ी शर्तों के तहत की ही कार्रवाई की है। यह याचिका गलत आशय से दायर की गई है। जो विवेकहीनता को व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा की रिपोर्ट में कोचर के कदाचार व कैसे वे अपने दायित्व के निवर्हन में विफल रही इसक लेकर कई निष्कर्ष व्यक्त किए गए है। जिन्हें ध्यान में रखते हुए बैंक ने कार्रवाई की है। वीडियोकान के कर्ज से जुड़े कथित विवाद में चंद्राकोचर का नाम सामने आया था। न्यायमूर्ति नितिन जामदार व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने कोचर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में कोचर ने  आईसीआईसीआई द्वारा उन्हें पद से हटाए जाने के निर्णय को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) की मंजूरी के बिना उन्हें हटाया गया है। यह बैकिंग रेग्युलेशन  कानून की धारा 35 बी के खिलाफ है। इसके साथ ही आईसीआईसीआई ने मुझे तय हुए पारिश्रमिक का भी भुगतान नहीं किया है। याचिका में कोचर ने दावा किया है कि मुझे पद से हटाने का निर्णय कानून की दृष्टि से अवैध है। कोचर बैंक से अप्रैल 1984 में प्रबंधन प्रशिक्षु के रुप में जुड़ी थी। मई 2009 में कोचर को बैंक प्रबंध निदेशक व मुख्यकारी नियुक्त किया गया था। आरबीआई ने कोचर की नियुक्ति को 31 मार्च 2019 को मंजूरी प्रदान की थी।
 

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