वनक्षेत्रों से धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं लोग, हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने दी जानकारी   

वनक्षेत्रों से धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं लोग, हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने दी जानकारी   

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-18 12:09 GMT
वनक्षेत्रों से धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं लोग, हाईकोर्ट को राज्य सरकार ने दी जानकारी   

डिजिटल डेस्क,मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वन क्षेत्रों में इंसानों का आवागमन कम करने व जंगल पर उसकी निर्भरता घटाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। एक साथ पूरी तरह से लोगों को वन क्षेत्रों व अभयारण्य के करीब से पूरी तरह हटाना संभव नहीं। सरकार धीरे-धीरे ऐसे लोगों को वन क्षेत्र से हटाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

राज्य सरकार ने अदालत में कहा कि इसके लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं और वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक रोजगार भी दिए जा रहे हैं। साथ ही सरकार यहां पर बड़े पैमाने पर जागरुकता फैला रही है। सरकार ने पर्यावरण विकास योजना के साथ ही डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जन-वन योजना की शुरुआत की है। मार्च 2018 तक 530 गांवों को इस योजना में शामिल किया गया है। इसके तहत 64007 लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। 3875 गैस के चूल्हे बांटे गए हैं। इसके अलावा सरकार वन्य जीवों के हमले के चलते मौत का शिकार होनेवालों के परिजनों और जंगली जानवरों के चलते खेती के नुकसान के लिए भी मुआवजा प्रदान करती है।

उप वन संरक्षक अधिकारी (ठाणे) डीबी शेंडगे ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। हलफनामे के मुताबिक राज्य भर में 6 नेशनल पार्क व 49 वन्यजीव अभ्यारण्य है। सरकार ने इनके संरक्षण के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। वनों को लेकर अत्याधुनिक तकनीक के जरिए अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है। केंद्र सरकार से भी सहयोग लिया जा रहा है। वन क्षेत्र पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। इस मामले को लेकर जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। 

उप वन संरक्षक अधिकारी ने यह हलफनामा अदालत के निर्देश पर वन शक्ति नामक गैर सरकारी संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि वन्य जीवों के मुक्त विचरण के लिए वन क्षेत्र की सरहद तय की जाए। याचिका में दावा किया गया है कि वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है। वहां पर उत्खनन के अलावा खेती भी की जा रही है। कई इलाकों में लोग रहते भी हैं इससे वन्य जीवों के जीवन को खतरा पैदा हो रहा है। 
 

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