गर्भवती महिला और दो बच्चियों पर गिरी दीवार, दर्दनाक हादसे में तीनों की मौत

गर्भवती महिला और दो बच्चियों पर गिरी दीवार, दर्दनाक हादसे में तीनों की मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-21 16:25 GMT
गर्भवती महिला और दो बच्चियों पर गिरी दीवार, दर्दनाक हादसे में तीनों की मौत

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। चंदन गांव में सुबह एक दर्दनाक हादसे में एक गर्भवती महिला और दो बच्चियों की दर्दनाक मौत हो गई। दरअसल एक जर्जर भवन की दीवार अचानक गिरने से महिला और बच्चियां उसमें दब गई। गांव के लोगों ने उनको बाहर निकाला और अस्पताल ले गए, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका है। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्ट मार्टम के लिए भेजा है। वहीं परिजनों का आरोप है कि महिला और एक बच्ची को यदि समय पर उपचार मिल जाता, तो उनको बचाया जा सकता था। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है।

जानकारी के अनुसार चांद के ग्राम चंदनगांव में मंगलवार सुबह एक जर्जर मकान की दीवार दो बच्चियों और गर्भवती महिला पर गिर गई। हादसे में गंभीर रुप से घायल बच्चियों और महिला को जिला अस्पताल लाया गया। रास्ते में एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। वहीं एक बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई। गंभीर रुप से घायल महिला को परिजन इलाज के लिए लेकर यहां-वहां भटकते रहे। बेहतर इलाज न मिलने से लगभग तीन घंटे तक तड़पने के बाद महिला ने भी दम तोड़ दिया। महिला को तीन माह का गर्भ था। इलाज के अभाव में महिला की मौत से गुस्साएं परिजनों ने सर्जिकल वार्ड के सामने शव रखकर हंगामा मचाया और चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। अस्पताल चौकी पुलिस और कोतवाली पुलिस की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ।

अस्पताल चौकी पुलिस ने बताया कि चांद के चंदनगांव में बिहारी यादव के जर्जर मकान को तोड़ने का कार्य चल रहा है। मंगलवार सुबह 10.30 बजे गांव में कपड़े बेचने एक फेरी वाला आया था। कपड़े देखने गांव की कुछ महिलाएं और बच्चे उस जर्जर मकान के पास आ गए। इसी दौरान मकान की दीवार गिर गई। जिसके नीचे सुहाना उर्फ मनु यादव पिता राजेश यादव (5), अनन्या पिता राजेश यादव (3) और गर्भवती बिस्तोबाई पति मद्रासी यादव (35) दब गई थी। ग्रामीणों ने तुरंत तीनों को दीवार के मलबे के नीचे से निकाला और अस्पताल लाया। यहां तीनों की मौत हो गई। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले को जांच में लिया है।

इलाज के अभाव में तोड़ा दम-
दीवार के मलबे से पहले निकली बच्चियों को ग्रामीणों ने निजी वाहन से अस्पताल लाया। बाद में मलबे से बाहर निकाली गई गर्भवती बिस्तोबाई को दूसरी गाड़ी से सुबह 11 बजे जिला अस्पताल ला लिया गया था। परिजनों का आरोप है कि ओपीडी पर्ची बनाने के बाद बिस्तोबाई को स्ट्रेचर पर लेकर वे यहां-वहां भटकते रहे, लेकिन उसे इलाज नहीं मिल सका। हालत गंभीर होने पर उन्होंने डॉक्टर बुलाने स्टाफ से गुहार लगाई तो उन्हें जवाब मिला कि डॉक्टर शाम पांच बजे राउंड पर आएंगे। आखिर दोपहर लगभग तीन बजे उसकी मौत हो गई।

पीएम के लिए इनकार, समझाइश के बाद माने-
इलाज के अभाव में गर्भवती महिला की मौत से आहत परिजनों ने सर्जिकल वार्ड के सामने शव रखकर हंगामा किया। इस दौरान परिजन मृतका का पीएम कराने से इनकार करते हुए चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझाइश देकर मामला शांत कराया और पीएम के लिए राजी कराया। शाम को पीएम के बाद शव परिजनों को सौंपा गया।

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