पिता के निधन पर मां से बात करना चाहता है कैदी, अब तक इजाजत नहीं मिलने से हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

पिता के निधन पर मां से बात करना चाहता है कैदी, अब तक इजाजत नहीं मिलने से हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

Tejinder Singh
Update: 2019-02-19 14:39 GMT
पिता के निधन पर मां से बात करना चाहता है कैदी, अब तक इजाजत नहीं मिलने से हाईकोर्ट ने जताई हैरानी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। जेल में बंद कैदी के पिता के निधन पर उसे अपनी मां से फोन पर बात करने के आवेदन पर जेल अधीक्षक द्वारा एक महीने बाद भी फैसला न लेने पर बांबे हाईकोर्ट ने हैरानी जाहिर की है। मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके के मामले में फंासी की सजा पानेवाले कैदी फैसल शेख ने येरवडा जेल के अधीक्षक के पास पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए आपात परोल के लिए आवेदन किया था। जब यह आवेदन खारिज कर दिया गया तो शेख ने जेल अधीक्षक से निवेदन किया कि उसे फोन पर अपनी मां से बात करने की अनुमति दी जाए ताकि वह पिता को अपनी श्रध्दांजलि अर्पित कर सके। जेल अधीक्षक ने शेख के आवेदन पर गौर नहीं किया लिहाजा उसने अधिवक्ता फरहाना शाह के मार्फत हाईकोर्ट में याचिका दायर की। 

अदालत ने कहाः कैदी के आवेदन पर तुरंत हो विचार 

न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति अजय गड़करी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शाह ने कहा कि मेरे मुवक्किल को फोन पर अपनी मां से बात करने की इजाजत मिलनी चाहिए। जेल में फोन की सुविधा उपलब्ध है। मेरे मुवक्किल ने फोन पर बात करने के लिए अपनी मां व बहन के फोन नंबर की जानकारी भी दी थी। उसने इस संबंध में 14 जनवरी 2019 को आवेदन किया था। फिर भी जेल अधीक्षक ने मेरे मुवक्किल को अपनी मां से बात करने की इजाजत नहीं दी। वहीं सरकारी वकील ने दावा किया कि नियमानुसार फांसी की सजा पानेवाले व विदेशी नागरिक को आपात परोल पर नहीं छोड़ा जा सकता है। 

जेल अधीक्षक ने अब तक निर्णय नहीं लिया

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने पाया कि जेल अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के फोन पर बात करने के आवेदन पर जेल अधीक्षक ने अब तक निर्णय नहीं लिया है। इस पर अदालत ने हैरानी जताई। खंडपीठ ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह तुरंत फोन पर बात करने के आवेदन पर निर्णय ले। यदि याचिकाकर्ता को अनुमति दी जाती है तो उसे जेल से फोन पर अपनी मां से बात करने की इजाजत दी जाए। इस दौरान खंडपीठ ने शेख को परोल न देने के जेल अधीक्षक के फैसले को सही माना। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 21 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है और अगली सुनवाई के दौरान बताने को कहा है कि जेल अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के आवेदन पर क्या फैसला किया। 


 

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