मालेगांव मामले पर सवालों के घेरे में एनआईए, भीमा-कोरेगांव हिंसा में 12 फरवरी तक तेलतुंबडे की गिरफ्तारी नहीं

मालेगांव मामले पर सवालों के घेरे में एनआईए, भीमा-कोरेगांव हिंसा में 12 फरवरी तक तेलतुंबडे की गिरफ्तारी नहीं

Tejinder Singh
Update: 2019-02-05 16:26 GMT
मालेगांव मामले पर सवालों के घेरे में एनआईए, भीमा-कोरेगांव हिंसा में 12 फरवरी तक तेलतुंबडे की गिरफ्तारी नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मालेगांव बम धमाके मामले में मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) बांबे हाईकोर्ट के सवालों में घिरी नजर आयी। हाईकोर्ट ने कहा कि क्या एनआईएन ने इस मामले के आरोपपत्र से जुड़े दस्तावेज व गवाहों के बयान के अकार को कम करने(ट्रंकेट) से पहले किसी कोर्ट से अनुमति ली थी। हाईकोर्ट में इस मामले में आरोपी लेफ्टीनेंट कर्नल पुरोहित की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में पुरोहित ने मांग की है कि उन्हें गवाहों के बयान के पूरी प्रति दी जाए जिसमें किसी प्रकार की छेड़छाड न की गई है अथवा उसके दस्तावेज कम न किए गए हो। न्यायमूर्तित अभय ओक व न्यायमूर्ति अजय गडकरी की खंडपीठ के सामने पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवदे ने कहा कि शुरुआत में एटीएस ने इस मामले की जांच की थी। जब उसने आरोपपत्र दायर किया था तो उसमें कई दस्तावेज को ढंका गया था और कांट छाट करके कई दस्तावेज के अकार को कम किया गया था। दस्तावेजों में लिखी हुई चीजों को ढंकने के लिए आवरण चढाने को लेकर एटीसी ने किसी से कोई अनुमति नहीं ली थी। अब एनआईए इस प्रकरण की जांच कर रही है। लिहाजा खंडपीठ ने एनआईए से सवाल करते हुए कहा कि क्या उसने दस्तावेजों को खंडित करने व उसमें लिखी गई बातों को ढंकने के लिए कोर्ट से अनुमति ली थी? क्या किसी अदालत ने इस संबंध में कोई आदेश जारी किया था? जांच अधिकारी के पास दस्तावेजों को खंडित करने व उसका आकार कम करने का अधिकार नहीं है। इस दौरान एनआईए के वकील संदेश पाटील ने खंडपीठ के सामने कहा कि उन्हें इस मामले में संबंधित अधिकारी से निर्देश लेने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामेल की सुनवाई 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। गौरतलब है कि 29 सिंतबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गए थे। 

12 फरवरी तक प्रोफेसर आनंत तेलतुंबडे की नहीं होगी गिरफ्तारी- पुलिस ने हाईकोर्ट को दी जानकारी

दूसरे मामले में पुणे पुलिस ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी प्रोफेसर व विचारक आनंद तेलतुंबडे को 12 फरवरी तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।  वहीं तेलतुंबडे ने हाईकोर्ट में दावा किया है कि पुलिस उन्हें बेवजह परेशान कर रही है। उन्हें एक साजिश के तहत मामले में फंसाया गया है। हाईकोर्ट में तेलतुंबडे के अग्रिम जमानत आवेदन पर सुनवाई चल रही है। मंगलवार को न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे के सामने तेलतुंबडे के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील अरुणा पई ने कहा कि पुलिस 12 फरवरी तक तेलतुंबडे को गिरफ्तार नहीं करेगी। इस बीच पुलिस कोर्ट में अपना हलफनामा दायर करेगी। पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा प्रकरण को लेकर 1 जनववरी 2018 को आपराधिक मामला दर्ज किया था। जिसमें तेलतुंबडे को भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने तेलतुंबड़े के खिलाफ भारतीय दंड संहिता कानून के अलावा गैर कानूनी गतिविधि प्रतिबंधक कानून(युएपीए) के तहत मामला दर्ज किया है। न्यायमूर्ति सांब्रे ने तेलतुंबडे के जमानत आवेदन पर गौर करने के बाद सरकारी वकील को 11 फरवरी तक अपना हलफनामा दायर करने को कहा। तेलतुंबडे ने जमानत आवेदन में दावा किया है कि पुलिस इस मामले की जांच से ज्यादा वह आरोपियों को परेशान कर रही है। मैं पुलिस के साथ जांच में लंबे समय से सहयोग कर रहा हू लेकिन पता नहीं क्यों उसे मेरी गिरफ्तारी को लेकर बड़ी जल्दबाजी है। मुझे इस मामले में फंसाया गया है मेरी इस प्रकरण में कोई भूमिका नहीं है। 

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