फिल्म पद्मावत के विरोध में सेंसर बोर्ड के सामने राजपूत समाज का प्रदर्शन

फिल्म पद्मावत के विरोध में सेंसर बोर्ड के सामने राजपूत समाज का प्रदर्शन

Tejinder Singh
Update: 2018-01-12 15:08 GMT
फिल्म पद्मावत के विरोध में सेंसर बोर्ड के सामने राजपूत समाज का प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। संजयलीला भंसाली की चर्चित फिल्म पद्मावत को सेंसर सर्टिफिकेट दिए जाने से नाराज राजपूत संगठनों ने शुक्रवार को मुंबई स्थित सेंसर बोर्ड के कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने एक महिला समेत 96 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। हालांकि बाद में सभी को रिहा कर दिया गया। राजपूत संगठनों से जुड़े लोग इस बात से नाराज हैं कि उन्होंने जिन 40 दृष्यों पर आपत्ति जताई थी, सेंसर बोर्ड ने बगैर काटे ही फिल्म को प्रमाणपत्र जारी कर दिया। विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए महाराणा प्रताप बटालियन के अध्यक्ष अजय सिंह सेंगर ने कहा कि फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट दे दिया गया, लेकिन उसमें अब भी कई ऐसे दृष्य हैं, जो न तो इतिहास से मेल खाते हैं और न ही पद्मावत से। सेंगर के मुताबिक इतिहासकार कपिल कुमार ने सेंसर बोर्ड के बुलावे पर फिल्म देख चुके हैं। उन्होंने जानकारी दी है कि फिल्म में रावत रतनसिंह की पहली पत्नी का एक संवाद है, जिसमें वे कहतीं हैं कि पद्मावती को खिलजी को सौंप दो और मेवाड़ बचा लो। लेकिन ऐसा पद्मावत में कहीं नहीं लिखा है।  

रतनसिंह और पद्मापति दिल्ली नहीं गए

एक दृष्य में खिलजी रावत रतनसिंह को बंदी बनाकर दिल्ली ले जाता है और उन्हें बचाने के लिए रानी पद्मावती हजारों महिलाओं के साथ पालकी लेकर दिल्ली पहुंच जातीं हैं। सेंगर के मुताबिक रतनसिंह और पद्मापति दिल्ली नहीं गए थे बल्कि गोरा बादल 700 पालकियों के साथ राजा को छुड़ाने गए थे। एक और दृष्य में खिलजी की कैद से रतनसिंह और पद्मावति को सुरंग के सहारे भागने में खिलजी की पत्नी मदद करती है। लेकिन हकीकत में गोरा बादल ने खिलजी के कैंप पर धावा बोलकर रावल रतनसिंह को छुड़ाया था। खिलजी की किसी पत्नी की भूमिका का जिक्र मुस्लिम इतिहासकारों ने भी नहीं किया है। राजपूत समाज को डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) पर भी आपत्ति है। सेंगर के मुताबिक जौहर और सतीप्रथा को एक बताकर इसे महिमामंडित न करने की बात कही गई है लेकिन ऐसा करना क्षत्राणियों के जौहर का अपमान है।

आपत्तियों को नजरअंदाज कर फिल्म को हरी झंडी क्यों?

विरोधकर रहे राजपूत समाज का सवाल है कि जब कपिल कुमार, अरविंद सिंह मेवाड को स्क्रीनिंग कमेटी में रखा गया, तो उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर फिल्म को हरी झंडी क्यों दी गई। फिल्म को लेकर पहले यह अफवाह उड़ाई गई कि इसमें 26 दृष्य काटे गए लेकिन बाद में सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी ने ही यह साफ कर दिया कि फिल्म में सिर्फ पांच बदलाव के सुझाव दिए गए हैं। बता दें कि फिल्म पद्मापती सिनेमाघरों में 25 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली है। 

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